Delhi News : छठ पर्व पर हो रही खास तैयार, दिल्ली में यमुना नदी पर अस्थायी घाटों के लिए चिन्हित किए गए 100 स्थान

दिल्ली सरकार ने छठ पूजा के लिए यमुना नदी और अन्य स्थानों पर 100 अस्थायी घाटों की पहचान की है। सिंचाई विभाग और दिल्ली जल बोर्ड सुरक्षा, सफ़ाई और व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे।

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Delhi News : सूर्य उपासना और लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा नज़दीक है और इसी के साथ दिल्ली में इसकी तैयारियां भी ज़ोर पकड़ने लगी हैं। राजधानी में हर साल लाखों श्रद्धालु छठ व्रत करते हैं, जिसे ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार के सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग (आई एंड एफसी) ने इस बार कम से कम 100 स्थानों पर अस्थायी घाट बनाने की योजना बनाई है। ये घाट यमुना नदी और अन्य प्रमुख जल स्रोतों के किनारे स्थापित किए जाएंगे।

अधिकारियों ने जानकारी दी है कि घाटों की तैयारियों में सुरक्षा, स्वच्छता, रोशनी, पीने का पानी और प्राथमिक चिकित्सा जैसी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। उद्देश्य है कि छठ पूजा दिल्ली में पूरी गरिमा, व्यवस्था और श्रद्धा के साथ संपन्न हो। इस बार की योजना खासतौर पर भीड़ प्रबंधन और साफ-सफाई को प्राथमिकता देती है, ताकि श्रद्धालु बिना किसी असुविधा के पूजा कर सकें।

यमुना से हटेगा सफेद झाग

दिल्ली जल बोर्ड को यमुना के उन हिस्सों से झाग हटाने की जिम्मेदारी दी गई है, जहां पानी प्रदूषण के कारण पूजा योग्य नहीं रह गया है। विशेष रूप से कालिंदी कुंज जैसे संवेदनशील इलाकों में जल शुद्धिकरण के उपाय किए जा रहे हैं। इसी के साथ, कुछ पुराने घाटों का पुनर्विकास भी किया जा रहा है, जबकि नए घाटों की पहचान और निर्माण का कार्य भी जारी है। आगे आने वाले दिनों में घाटों की संख्या और बढ़ाई जा सकती है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और सिंचाई मंत्री प्रवेश वर्मा खुद आईटीओ घाट जैसे बड़े घाटों पर जाकर तैयारियों का जायज़ा लेंगे। सरकार ने यह आश्वासन दिया है कि हर घाट पर श्रद्धालुओं की सुविधाओं का पूरा ख्याल रखा जाएगा।

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मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पहले ही स्पष्ट कर चुकी हैं कि इस वर्ष दिल्ली में छठ पर्व को ऐतिहासिक और योजनाबद्ध तरीके से आयोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यमुना के दोनों किनारों पर पर्याप्त संख्या में घाट बनाए जाएंगे, ताकि पूर्वांचली समाज बिना किसी परेशानी के अपने सबसे बड़े पर्व को श्रद्धा के साथ मना सके। सरकार का लक्ष्य इस बार छठ पर्व को न सिर्फ भव्य रूप देना है, बल्कि इसे सुरक्षित, साफ और अनुशासित माहौल में आयोजित करना भी है। इससे श्रद्धालुओं को पूजा के दौरान एक शांतिपूर्ण और श्रद्धामय अनुभव मिलेगा।

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