Delhi Assembly Elections: दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी माहौल गर्मा गया है। दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने आम आदमी पार्टी (AAP) और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सचदेवा ने दावा किया है कि Delhi Assembly वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है, जहां गैर-मौजूद लोगों के नाम जोड़े गए हैं। उन्होंने कहा कि 2014 में दिल्ली में मतदाताओं की संख्या 1 करोड़ 19 लाख थी, जो 2015 में बढ़कर 1 करोड़ 33 लाख हो गई। पांच महीनों में 9 लाख नए मतदाताओं का जुड़ना सवाल खड़े करता है। बीजेपी ने चुनाव आयोग से जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
बढ़ती मतदाता संख्या पर सवाल
बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली में 2014 और 2015 के बीच मतदाता संख्या में 14 लाख का इजाफा हुआ। उन्होंने पूछा कि इतने लोग आखिर कहां से आए? उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 2015 से 2019 के बीच केवल 6 लाख मतदाता बढ़े, लेकिन 5 महीनों में अचानक 9 लाख नए वोटर कैसे जुड़ गए।
सचदेवा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह गड़बड़ी आम आदमी पार्टी की साजिश है। उन्होंने दावा किया कि मृत लोगों और बाहरी लोगों के नाम वोटर लिस्ट में शामिल किए गए हैं। शाहीन बाग में एक आरोपी मोहम्मद जमील आलम के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने का भी उल्लेख किया।
बीजेपी की आप पर तीखी आलोचना
सचदेवा ने कहा कि Delhi Assembly अरविंद केजरीवाल ने 2015 और 2019 में भी ऐसा किया था, लेकिन 2025 में बीजेपी इसे नहीं होने देगी। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि हाल ही में 66 वर्षीय नवाबुद्दीन नामक व्यक्ति का नाम जोड़ा गया है। सवाल उठता है कि यह व्यक्ति अब तक कहां था।
बीजेपी ने नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र समेत कई सीटों पर वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का आरोप लगाया। उनका कहना है कि चुनाव आयोग को दोषियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और इस साजिश का पर्दाफाश करना चाहिए।
कुर्सी बचाने की कोशिश का आरोप
बीजेपी ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी अपनी कुर्सी बचाने के लिए ऐसे कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि यदि दिल्ली में सही तरीके से छानबीन हो तो गड़बड़ी की संख्या हजारों में हो सकती है। बीजेपी ने चुनाव आयोग से आग्रह किया कि दोषियों पर केस दर्ज किया जाए ताकि निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित हो सके।
दिल्ली में सियासी आरोप-प्रत्यारोप के बीच अब चुनाव आयोग की कार्रवाई पर नजरें टिकी हैं।