नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। दिल्ली ब्लास्ट के बाद हरियाणा की अल-फलाह यूनिवर्सिटी सुरक्षा एजेंसियों की रडार पर आ गई है। यूनिवर्सिटी के चेयरमैन को ईडी ने अरेस्ट कर लिया है और उनसे पूछताछ कर रही है। अब आतंक की पाठशाला बनी अल-फलाह यूनिवर्सिटी को लेकर नए-नए खुलासे हो रहे है। सुरक्षा एजेंसियों को जांच में कई सबूत हाथ लगे हैं। आत्मघाती हमलावार डॉक्टर उमर, डॉक्टर शाहीन, डॉक्टर आदिल, डॉक्टर परवेज के अलावा कई अन्य आतंकी डॉक्टरों ने यहीं से आतंक की एबीसीडी पढ़ी और भारत को लहूलुहान करने की साजिश रची। ऐसे में हम आपको अल-फलाह यूनिवर्सिटी के बारे में अपने इस खास अंक में बताने जा रहे है। कौन है इस यूनिवर्सिटी का चेयरमैन और कब इसकी नींव रखी गई।
फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी की स्थापना हरियाणा विधानसभा द्वारा पारित अधिनियम के तहत साल 2014 में की गई है। अल-फलाह यूनिवर्सिटी को यूजीसी ने 2015 में मान्यता प्रदान की है। अल-फलाह यूनिवर्सिटी का परिसर लगभग 70 एकड़ में फैला हुआ है। अल-फलाह यूनिवर्सिटी में अल-फलाह हॉस्पिटल भी है। ये अस्पताल अल-फलाह स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर का ही एक हिस्सा है। अल-फलाह यूनिवर्सिटी के ये हॉस्पिटल में 650 बेड का चौरिटेबल अस्पताल है। अल-फलाह यूनिवर्सिटी का संचालन अल-फलाह चौरिटेबल ट्रस्ट करता है। ट्रस्ट यूनिवर्सिटी के अलावा कई अन्य शैक्षणिक संस्थान भी संचालित करता है। इसमें अल-फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, ब्राउन हिल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, अल-फलाह स्कूल ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग शामिल हैं।
फरीदाबाद स्थित धौज में अल-फलाह यूनिवर्सिटी सबसे पहले कॉलेज के रूप में जानी जाती थी। सूत्रों के मुताबिक साल 1997 में इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में अल-फलाह कॉलेज की शुरुआत हुई जिसमें इंजीनियरिंग कोर्स के अलावा बैचलर और मास्टर डिग्री कोर्स कराने की व्यवस्था थी। साल 2014 में कॉलेज को यूनिवर्सिटी में तब्दील कर दिया गया। ऐसा माना जा रहा है कि कॉलेज से यूनिवर्सिटी में तब्दील करने में काफी प्रक्रियांए होती हैं जिन्हें बिना राजनीतिक रसूक के पूरा करना मुश्किल है। इसलिए ऐसा अंदेशा लगाया जा रहा है कि यूनिवर्सिटी की मान्यता लेते वक्त दस्तावेज ठीक तरह से सब्मिट किए गए है या नहीं, इसकी भी जांच की जाएगी। फिलहान हरियाणा सरकार ने यूनिवर्सिटी की जांच के आदेश दिए हैं। शिक्षण संस्था के चेयरमैन को ईडी ने अरेस्ट कर लिया है। चेयरमैन का भाई भी पुलिस के शिकंजे में है। फिलहाल जांच एजेंसियों की रडार पर 200 डॉक्टर्स हैं, जो दिल्ली ब्लास्ट के बाद से लापता हैं।
पुलिस की जांच में सामने आया है कि फिदायीन हमलावर डॉक्टर उमर यहीं मरीजों का इलाज करता और छात्रों को डॉक्टर बनने का ज्ञान देता। जांच में सामने आया है कि वर्ष 2008 में अहमदाबाद, गुजरात में हुए सीरियल बम धमाकों अल-फलाह यूनिवर्सिटी से निकले एक इंजीनियर आतंकी का हाथ था। अहमदाबाद बम धमाकों को आतंकी मिर्जा शादाब बेग ने अंजाम दिया था। बेग भी अल-फलाह यूनिवर्सिटी का ही छात्र था। उसने वर्ष 2007 में फरीदाबाद के अल-फलाह इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंस्ट्रमेंटेशन में बीटेक किया था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के एक अधिकारी ने बताया कि मिर्जा शादाब बेग वर्ष 2008 में अहमदाबाद में होने वाले सीरियल ब्लास्ट में शामिल रहा। पढ़ाई के दौरान ही हमले की तैयारी में था। वह वर्षों से फरार है। अभी इसके अफगानिस्तान में होने की सूचना है। इंजीनियर से आतंकी बने बेग पर कई सनसनीखेज आरोप हैं। बेग ने भारत के कई शहरों में ब्लास्ट करवाए थे।
मिर्जा शादाब बेग आजमगढ़ का रहने वाला और इंडियन मुजाहिदीन का अहम सदस्य था। उसने वर्ष 2008 के अमदाबाद व जयपुर में हुए सीरियल ब्लास्ट में अहम भूमिका निभाई थी। जयपुर विस्फोटों को अंजाम देने के लिए बेग ही विस्फोटक एकत्रित करने के लिए कर्नाटक के उडुपी गया था। उडुपी में रियाज भटकल और यासीन भटकल को बेग ने बड़ी मात्रा में डेटोनेटर और बेयरिंग दी थी, जिनका इस्तेमाल आईईडी तैयार करने में किया गया। कहा जा रहा है कि बेग बम बनाने वाले इंजीनियरिंग से वाकिफ था क्योंकि उसने इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियरिंग की ही पढ़ाई की थी। कुछ इसी तरह से दिल्ली ब्लास्ट से आत्मघाती ने इसी युनिवर्सिटी को अपना ठिकाना बनाया। आतंकी उमर ने डॉक्टरों को अपने साथ किया। डॉक्टर आतंकी उमर ने 2900 केजी विस्फोटक को फरीदाबाद में जमा किया।
वरिष्ठ पुलिस सूत्रों के अनुसार इस जांच के दौरान एजेंसियों के रडार पर अब अल-फलाह यूनिवर्सिटी के 200 से ज्यादा डॉक्टर हैं। जांच एजेंसियां इस यूनिवर्सिटी के कुछ स्टाफ से भी पूछताछ करने की तैयारी में है। जांच में ऐसे बातें सामने आ रही हैं कि धमाके वाले दिन ही कई डॉक्टर एकाएक इस यूनिवर्सिटी को छोड़कर चले गए। जांच एजेंसियां अब इस बात का भी पता लगाने की कोशिश में है कि आखिर दिल्ली में हुए धमाके के बाद कितने डॉक्टर व अन्य स्टाफ ने यूनिवर्सिटी छोड़कर गए थे। जांच में पता चला है कि कई लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने इस धमाके के बाद अपने मोबाइल का डाटा भी डिलीट कर दिया। अब जांच एजेंसियों इन लोगों के लैपटॉप और फोन की जांच कर इस बात का पता लगाने की कोशिशों में जुटी हैं कि आखिर इनमें कौन से ऐसे डाटा थे जिन्हें धमाके के ठीक बाद डिलीट किया गया था।








