नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। दिल्ली ब्लास्ट के बाद सुरक्षा एजेंसियां सफेद कॉलर टेरर मॉड्यूल को लेकर अपनी जांच को तेजी से आगे बढ़ाए हुए हैं। जांच में सामने आया है कटरपंथी डॉक्टरों की टोली 2024 में बड़ा आत्मघाती हमला करना चाह रही थी। ऐसे में आतंकी फिदायीन हमलावर की खोज कर रहे थे। मुख्य साजिशकर्ता डॉ. उमर नबी इस षडयंत्र को लगातार आगे बढ़ा रहा था। अप्रैल में आतंकियों की एक बैठक भी हुई। इस दौरान डॉक्टर उमर ने मानवबम बनने के लिए कुछ युवकों से कहा। बैठक में मौजूद दानिश ने इस्लाम में खुदकुशी वर्जित होने का हवाला देते हुए पीछे हट गया और पूरी साजिश विफल हो गई थी।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, फरीदाबाद के सफेद कॉलर टेररिस्ट ने देश को दहलाने की बड़ी साजिश रची थी। आतंकी डॉक्टरों की टाली ने जैश-ए-मोहम्मद के साथ मिलकर भारत के अंदर 6 आत्मघाती हमले का प्लान बनाया था। कुछ हद तक आतंकी डॉक्टर्स अपनी साजिश में सफल भी हुए। आतंकी डॉक्टर उमर बनी ने फिदायीन हमला कर दिल्ली का लहूलुहान कर दिया। इस ब्लास्ट में 13 लोग मारे गए, जबकि 30 से अधिक मासूम बुरी तरह से घायल हुए। पुलिस और जांच एजेंसियां ने सफेद कॉलर टेरर मॉड्यूल को खत्म करने के लिए बड़ा ऑपरेशन लॉन्च किया। इस दौरान एक दर्जन आरोपी पुलिस के हत्थे चढ़े हैं। इसमें 7 डॉक्टर्स भी शामिल हैं।
उमर कर रहा था फिदायीन की तलाश
पुलिस और एनआईए की जांच में सामने आया है कि दिल्ली ब्लास्ट का मास्टरमाइंड डॉक्टर उमर था। जांच अधिकारियों ने रविवार को दावा किया कि दक्षिण कश्मीर के काजीगुंड से पकड़े गए आरोपी जसीर उर्फ दानिश से पूछताछ में पता चला कि डॉ. उमर घोर कट्टरपंथी था। वह इस बात पर लगातार जोर देता था कि आतंकी साजिश को अंजाम देने के लिए एक आत्मघाती हमलावर की जरूरत थी। उमर पिछले साल से ही आत्मघाती हमलावर की तलाश में था। मुख्य साजिशकर्ता डॉ. उमर नबी इस षडयंत्र को लगातार आगे बढ़ा रहा था।
दानिश के चलते विफल हुई साजिश
आतंकियों की साजिश अप्रैल में दानिश के इस्लाम में खुदकुशी वर्जित होने का हवाला देते हुए पीछे हटने से विफल हो गई थी। जांच अधिकारियों ने रविवार को दावा किया कि दक्षिण कश्मीर के काजीगुंड से पकड़े गए आरोपी जसीर उर्फ दानिश से पूछताछ में पता चला कि डॉ. उमर घोर कट्टरपंथी था। वह इस बात पर लगातार जोर देता था कि आतंकी साजिश को अंजाम देने के लिए एक आत्मघाती हमलावर की जरूरत थी। डॉक्टर उमर ने फिदायीन हमलावर के लिए कई बैठकें की। एक बैठक के दौरान मैंने फिदायीन हमले को इस्लाम के खिलाफ बताया, जिसके कारण उमर की साजिश विफल हो गई। बावजूद उमर लगातार फिदायीन हमले की फिराक में था।
अब नई रणनीति पर काम कर रहे आतंकवादी
बता दें, जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी समूहों के आका सुरक्षा बलों की नजर से बचने के लिए अब नई रणनीति पर काम कर रहे हैं। आतंकियों की नई भर्ती में वे उन युवाओं को शामिल कर रहे हैं, जिनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड या अलगाववादी जुड़ाव नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि यह दो दशक पुरानी रणनीति से अलग है, जिसमें आतंकी संगठनों से जुड़े लोगों को प्राथमिकता दी जाती थी। सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल की जांच कर रहे अधिकारियों का कहना है कि अब तक गिरफ्तार या हिरासत में लिए गए आरोपियों से पूछताछ में इस नए पैटर्न का पता चला है। पकड़े गए आरोपियों के खिलाफ एक भी केस दर्ज नहीं है। पुलिस अधिकारियों की मानें तो पाक में बैठे आतंकियों के आकाओं ने नई रणनीति के तहत अब टेरर का रंग रूप भी बदला है।
सक्रिय आतंकी समूहों की सोची-समझी चाल
एक अधिकारी ने कहा, डॉ. अदील, उसके भाई डॉ. मुजफ्फर राथर और डॉ. मुजम्मिल गनई जैसे आरोपियों का कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में संलिप्तता नहीं है। इन कट्टरपंथी युवाओं के परिवार के सदस्यों का भी किसी अलगाववादी या आतंकी संगठन से पूर्व संबंध नहीं है। यहां तक कि डॉ. उमर का भी कोई पुराना आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था। उसका परिवार भी इस मामले में बेदाग रहा है सूत्रों के मुताबिक, यह जम्मू-कश्मीर या पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी समूहों की सोची-समझी चाल है, ताकि उच्च शिक्षित युवाओं और बिना किसी आपराधिक रिकॉर्ड वाले लोगों को आतंकी गतिविधियों का हिस्सा बनाया जाए आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के फरीदाबाद माड्यूल की अहम सदस्य डॉ. शाहीन ने आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए कई देशों से फंडिंग जुटाई थी।
डॉ. शाहीन, मुजम्मिल के नेटवर्क से कई लोग
जैश के इशारे पर उसे विदेशों में रहने वाले कश्मीरी मूल के डॉक्टरों से संपर्क स्थापित कर फंडिंग का बंदोबस्त करने का जिम्मा सौंपा गया था। इसमें उसका भाई डॉ. परवेज भी मदद कर रहा था। राजधानी निवासी दोनों भाई-बहन की जांच में सामने आया है कि वह पाकिस्तान समेत कई मुस्लिम देशों के डॉक्टरों के संपर्क में थे। जांच एजेंसियां शाहीन द्वारा 30 लाख रुपये से अधिक रकम जुटाने के पुख्ता सुबूत जुटा चुकी है और आगे की जांच जारी है। जैश ने सुनियोजित साजिश के तहत राजधानी निवासी डॉ. शाहीन और डॉ. परवेज को यह काम सौंपा था। दरअसल, इस माड्यूल से जुड़े अधिकतर डॉक्टर कश्मीर मूल के हैं, जिनके जरिये फंडिंग करने से फंसने का डर था। छानबीन में पता चला है कि डॉ. शाहीन, मुजम्मिल के नेटवर्क से कई लोग जुड़े थे। यह लोग व्हाट्सएप ग्रुप के अलावा टेलीग्राम एप से भी जुड़े थे। 9 नवंबर को गिरफ्तारियों के बाद कई लोगों ने ग्रुप छोड़ दिए।
