दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) हर स्टेशन पर अलग-अलग है। एक सिगरेट से 64.8 AQI के बराबर प्रदूषण निकलता है। इस समय दिल्ली के जहांगीरपुरी और आनंद विहार में लोग 6 सिगरेट के धुएं के बराबर प्रदूषण का सामना कर रहे हैं, वो भी बिना कोई खर्च किए। हर साल AQI इस प्रकार खराब स्थिति में रहता है और इसमें सुधार नहीं होता। जैसे ही सर्दियां शुरू होती हैं, चेहरों पर से मास्क गायब नहीं होते, और चलते-फिरते लोगों को मास्क पहने हुए देखा जा सकता है।
दिल्ली में क्यों बढ़ रहा प्रदूषण
पीएम की बैठक
दिल्ली की हवा में पार्टिकुलेट मैटर (PM) की मात्रा में वृद्धि हो रही है। इसका मुख्य कारण वाहनों, औद्योगिक गतिविधियों, पराली जलाने और अन्य स्रोतों से निकलने वाला धुआं है, जो वायुमंडल में प्रदूषण का कारण बनता है। खासकर अक्टूबर और नवंबर के महीनों में पीएम 2.5 और पीएम 10 के स्तर में वृद्धि देखी जाती है।
पराली जलाना
हर साल जैसे ही पंजाब और हरियाणा में ठंड का मौसम शुरू होता है, किसान पुरानी फसलों के बचे हुए अवशेषों को जलाते हैं, जिसे पराली जलाना कहा जाता है। इस वर्ष ऐसा माना जा रहा है कि फसल की कटाई का मौसम समय से पहले बढ़ गया है, जिससे इन राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि हुई है।
हवा की दिशा
दिल्ली की प्रदूषण(Delhi Pollution) में हवा का भी बड़ा योगदान है। हवा की दिशा, गति और नमी जैसे कारक दिल्ली-एनसीआर के वातावरण में जहर घोल देते हैं। मानसून के बाद और सर्दियों से पहले, हरियाणा और पंजाब से आने वाली हवा दिल्ली की तरफ बढ़ती है, जो कभी-कभी पाकिस्तान से भी आती है। इस हवा के साथ पराली का धुआं भी शामिल होता है, जिससे घना कोहरा और प्रदूषण बढ़ता है।
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तापमान व्युत्क्रम
दिल्ली की सर्दियों में तापमान में निरंतर बदलाव से भी प्रदूषण बढ़ता है। इसे तापमान व्युत्क्रमण कहा जाता है, जिसमें ठंडी हवा के ऊपर गर्म हवा की परत बनती है। इससे प्रदूषणकारी तत्व सतह पर रुक जाते हैं। ऐसा प्रदूषण वाहनों, उद्योगों और पराली जलाने से उत्पन्न होता है।
वाहनों से होने वाला प्रदूषण
दिल्ली की जनसंख्या और वहां के वाहनों की संख्या अत्यधिक है। दिल्ली में पीएम 2.5 का 25% हिस्सा वाहनों द्वारा उत्सर्जित प्रदूषण के कारण है। इसके साथ ही, दिल्ली और उसके आस-पास की औद्योगिक गैसें और रसायन भी पर्यावरण में परिवर्तन लाते हैं, जिससे प्रदूषण में वृद्धि होती है।
प्रदूषण के अन्य स्रोत
सर्दियों के दौरान, शुष्क क्षेत्रों से आने वाली सूखी हवा में रेत के कण भी शामिल होते हैं। दिवाली के समय पटाखों से निकलने वाले रसायन और घरेलू बायोमास का जलना भी प्रदूषण को बढ़ाता है। आईआईटी कानपूर के एक अध्ययन के अनुसार, ये सभी कारक दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर को बढ़ा देते हैं।