नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। दिल्ली ब्लास्ट के बाद जांच एजेंसियां अलर्ट पर हैं। फरीदाबाद के सफेद कॉलर टेरर मॉड्यूल की खूनी साजिश का एक-एक कर पर्दाफाश कर रही हैं। आतंकी डॉक्टर दबोचे जा रहे हैं। आतंकियों के मददगार भी सलाखों के पीछे भेजे जा रहे हैं। पकड़े गए जिहादी पूछताछ में सनसनीखेज खुलासे कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि फिदायीन हमलावर उमर ने ‘शू बम’ के जरिए धमाका किया। एक आतंकी ने कबूला है कि वह हमास की तर्ज पर द्रोन-रॉकेट से भारत को दहलाने के मिशन में जुटा था। वहीं एक और खबर निकल कर सामने आई है। खुफिया सूत्रों के अनुसार, आतंकियों ने देशभर में एक साथ हमले करने के लिए लगभग 32 पुरानी कारों में विस्फोटक लगाने की योजना बनाई थी। इनमें अयोध्या के राम मंदिर को भी निशाने पर रखा गया था, ताकि वे बाबरी ढांचा विध्वंस का बदला लेने का संदेश दे सकें।
दिल्ली विस्फोट और फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल की जांच कर रही एजेंसियों को डॉ. उमर और डॉ. मुजम्मिल की डायरियां मिली हैं। ये डायरियां अल-फलाह यूनिवर्सिटी कैंपस से कमरा नंबर चार और कमरा नंबर 13 से मिली हैं, जहां उमर और मुजम्मिल रहते थे। इन डायरियों में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। इनसे पता चला है कि आतंकी बीते दो वर्षों से विभिन्न जगहों पर धमाके की साजिश बना रहे थे। डायरियों में कई बातें कोड भाषा में लिखी गई हैं, जिनका खुलासा करने में जांच एजेंसियां जुटी हैं। सुरक्षा एजेंसियों की जांच में सामने आया है कि डॉक्टर आतंकी देश में बड़े हमले की फिराक में थे। फिदायीन हमलावर उमर को मानवबम को तैयार करना था। जबकि शाहीन को सुसाइड बॉम्बर की भर्ती करनी थी। शाहीन के भाई परवेज को कारों की व्यवस्था करनी थी। आतंकी 32 करों से देश के 32 इलाकों को दहलाना चह रहे थे।
सूत्रों का कहना है कि पकड़े गए डॉक्टरों से पूछताछ में पता चला कि आतंकियों ने हमलों में इस्तेमाल के लिए एक आई 20 और एक ईको स्पोर्ट कार को मॉडिफाई करना शुरू कर दिया था। जांच एजेंसियां यह भी पता लगाने में जुटी हैं कि क्या इन्हीं जैसी अन्य कारें भी कई जगहों पर धमाकों के लिए तैयार की जा रही थीं। कुछ कारें जुटाई जा चुकी थीं, जबकि कुछ को खरीदने की प्रक्रिया चल रही थी। एक कार अल फलाह यूनिवर्सिटी परिसर से बरामद कर ली गई है। जानकारी के अनुसार आठ आतंकी चार जगहों पर एक साथ विस्फोट करने की तैयारी कर रहे थे और हर दो आतंकियों को एक शहर सौंपा गया था। जांच में ये भी सामने आया है कि उमर ने कश्मीर के आतंकी वानी को सुसाइड बॉम्बर बनने के लिए तैयार कर लिया था, लेकिन ऐन वक्त में उसने मानवबम बनने से इंकार कर दिया। वानी के इंकार के बाद फिर खुद डॉक्टर उमर ने फिदायीन हमले का प्लान बनाया और दिल्ली में कार के अंदर खुद को उड़ा लिया। इस हमले में 15 लोगों की मौत हो गई थी।
पूछताछ में सामने आया कि अल फलाह यूनिवर्सिटी में कार्रवाई के बाद डॉक्टर उमर अमोनियम नाइट्रेट, फ्यूल ऑयल, टाइमर, डेटोनेटर और अन्य सामान लेकर निकला था। वह कुछ ही समय में बम तैयार कर सकता था और माना जा रहा है कि उसने यही काम पार्किंग में तीन घंटों तक किया। उसने पार्किंग में ऐसी जगह कार खड़ी की जहां सीसीटीवी कवरेज नहीं था। सोमवार को लाल किला बंद होने के कारण पार्किंग में वाहन भी कम थे। सूत्रों के मुताबिक, उमर का लक्ष्य दिल्ली में किसी भीड़भाड़ वाली जगह इसेंज करना था। फरीदाबाद से दिल्ली आते समय वह लगातार ऐसी जगहों की रेकी करता रहा और इसी सिलसिले में वह लाल किले तक पहुंचा। अब 10 नवंबर के एक अन्य सीसीटीवी फुटेज में उमर दिल्ली में प्रवेश करते समय दिखाई दिया, जहां उसकी कार की पिछली सीट पर एक बड़ा काला बैग नजर आया। पहचान से बचने के लिए उसने मास्क लगाया हुआ था।
जांच में सामने आया है कि आतंकवादी फरीदाबाद में ही आठ पुरानी कारें जुटा रहे थे। चार ले ली गई थीं और बाकी चार का सौदा लगभग तय हो गया था, लेकिन भुगतान से पहले ही दिल्ली धमाका हो गया। पुलिस ने सभी चार कारें कब्जे में ले ली हैं। लाल किले के पास धमाके में इस्तेमाल आई 20 कार फरीदाबाद के रॉयल कार जोन से 29 अक्टूबर को खरीदी गई थी। इसे तारिक ने खरीदा और बाद में डॉ. उमर को दे दिया। इसी मामले में डॉ. शाहीन को गिरफ्तार किया गया और उनकी स्विफ्ट कार जब्त हुई, जिसमें एके-47 राइफल, पिस्टल और कारतूस मिले। शाहीन ने यह कार सेकेंड-हैंड खरीदी थी। तीसरी कार फरीदाबाद के खंदावली गांव में मिली, जो डॉ. उमर नबी बट के नाम थी और विस्फोटक सप्लाई में इस्तेमाल हुई। चौथी ब्रेज़ा कार यूनिवर्सिटी के डॉक्टर्स क्वार्टर से बरामद हुई। इसे डॉ. शाहीन ने सितंबर 2025 में खरीदा था।
डॉ. शाहीन की स्विफ्ट कार में विस्फोटक लाया जाता था। इस कार का इस्तेमाल डॉ. मुजम्मिल करता था। शाहीन और मुजम्मिल की गहरी नजदीकियों के कारण वह कार उसे दे देती थी। बाहर से आने वाला विस्फोटक इसी कार से धौज में किराये के कमरे तक पहुंचाया जाता था। ऐसे चर्चा है कि शाहीन को कारों के साथ ही फिदायीन दस्तों की व्यवस्था भी करनी थी। शाहीन इलाज के लिए आने वाले लोगों का ब्रैनवॉश करती। उन्हें दीन का हवाला देकर फिदायीन बनने को कहती है। जांच में ये भी आया है कि शाहीन जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग की इंडिया हेड थी। जैश के चीफ मसूद अजहर की बहन के संपर्क में भी शाहीन थी। फिलहाल जैश की शाहीन और उसका भाई परवेज जांच एजेंसियों की गिरफ्त में है। आतंकी भाई-बहन ने कई राज भी उगले हैं। कानपुर से लेकर लखनऊ में बैठे मददगारों के नाम भी बताए हैं। इसी के बाद यूपी एटीएस ने शाहीन के एक करीबी डॉक्टर को कानपुर से दबोचा है।










