JNU Fee Reduction : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने विदेशी छात्रों को आकर्षित करने और वैश्विक स्तर पर उच्च शिक्षा को सुलभ बनाने के उद्देश्य से एक बड़ा निर्णय लिया है। विश्वविद्यालय ने आर्थिक रूप से पिछड़े और विकासशील देशों से आने वाले छात्रों, विशेष रूप से अफ्रीकी, लैटिन अमेरिकी, सार्क और पश्चिम एशियाई देशों के विद्यार्थियों के लिए फीस में भारी कटौती की घोषणा की है।
जेएनयू प्रशासन के अनुसार, यह कदम हाल के वर्षों में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के नामांकन में आई गिरावट को देखते हुए उठाया गया है। 2020-21 में जहां विश्वविद्यालय में 152 विदेशी छात्र थे, वहीं यह संख्या 2023-24 तक घटकर सिर्फ़ 51 रह गई। इस गिरावट को रोकने के लिए इस शैक्षणिक सत्र से ट्यूशन फीस में बदलाव किया गया है, ताकि जेएनयू को विदेशी छात्रों के लिए एक आकर्षक शैक्षणिक गंतव्य के रूप में स्थापित किया जा सके।
जेएनयू ने विदेशी छात्रों की फीस में की भारी कटौती
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने विदेशी छात्रों के लिए ट्यूशन फीस में बड़ी कटौती की है, जिससे विशेष रूप से अफ्रीकी, लैटिन अमेरिकी, सार्क और पश्चिम एशियाई देशों के छात्रों को राहत मिलेगी। अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी छात्रों के लिए मानविकी पाठ्यक्रमों की फीस $1,500 से घटाकर $300 (80% कमी) और विज्ञान की फीस $1,900 से घटाकर $400 (78% कमी) कर दी गई है। सार्क देशों के छात्रों के लिए मानविकी की फीस $700 से घटकर $200 (71% कटौती) और विज्ञान की $300 (57% कटौती) कर दी गई है।
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पश्चिम एशियाई छात्रों के लिए विज्ञान पाठ्यक्रमों की फीस $1,900 से घटकर $600 (68%) और मानविकी की $1,500 से घटकर $500 (66%) कर दी गई है। जिन अन्य देशों को विशेष छूट नहीं दी गई है, उनके लिए विज्ञान की फीस $1,900 से घटाकर $1,250 (34%) और मानविकी की $1,500 से घटाकर $1,000 (33%) की गई है। साथ ही, सभी विदेशी छात्रों को अब $500 का एकमुश्त पंजीकरण शुल्क देना होगा।
क्या है इस बदलाव का उद्देश्य ?
इस नीतिगत परिवर्तन का उद्देश्य शिक्षा को वैश्विक रूप से सुलभ बनाना और आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों को जेएनयू में अध्ययन का अवसर देना है। मानविकी संकाय में सबसे अधिक राहत दी गई है, क्योंकि इन पाठ्यक्रमों में आमतौर पर छात्रों की आय कम होती है और इन्हें अधिक वित्तीय सहायता की आवश्यकता होती है। यह निर्णय न सिर्फ़ जेएनयू की अंतरराष्ट्रीय छवि को सशक्त करेगा, बल्कि विश्व भर के गरीब व विकासशील देशों के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में एक नया रास्ता भी देगा।