New Delhi: दिल्ली सरकार के पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री के खिलाफ दिल्ली एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने 7 करोड़ रुपए की रिश्वत के मामले में एफआईआर दर्ज की है। यह मामला 571 करोड़ रुपये के सीसीटीवी प्रोजेक्ट में कथित गड़बड़ी से जुड़ा हुआ है।
क्या है पूरा मामला?
दिल्ली सरकार ने अपनी सभी 70 विधानसभाओं में 1.4 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए 571 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। इस प्रोजेक्ट का ठेका भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) को दिया गया था। लेकिन सीसीटीवी कैमरे लगाने में देरी के चलते सरकार ने कंपनी पर 16 करोड़ का जुर्माना लगाया था। आरोप है कि तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन ने 7 करोड़ रुपए की रिश्वत लेकर इस जुर्माने को माफ कर दिया। यही नहीं, उसी ठेकेदार को 1.4 लाख अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरों का ठेका भी दे दिया गया।
ACB को कैसे मिली जानकारी?
दिल्ली एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) के जॉइंट कमिश्नर मधुर वर्मा ने बताया कि इस घोटाले की जानकारी सबसे पहले मीडिया रिपोर्ट्स के जरिए सामने आई थी। बाद में BEL कंपनी के एक अधिकारी ने ACB में शिकायत दर्ज कराई जिसमें उसने घोटाले की पूरी जानकारी दी।शिकायत में बताया गया कि सत्येंद्र जैन को 7 करोड़ की रिश्वत ठेकेदार के माध्यम से दी गई। 1.4 लाख अतिरिक्त सीसीटीवी लगाने के ठेके में भी गड़बड़ी हुई। प्रोजेक्ट के तहत घटिया गुणवत्ता के कैमरे लगाए गए, जो पहले से ही खराब स्थिति में थे।
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पहले भी जेल में रह चुके हैं सत्येंद्र जैन
सत्येंद्र जैन पहले भी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार होकर तिहाड़ जेल में रह चुके हैं। हालांकि, खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है। लेकिन अब ACB की इस नई एफआईआर से उनकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
क्या कह रही है AAP?
आम आदमी पार्टी (New Delhi) ने इस मामले को राजनीतिक साजिश करार दिया है। पार्टी का कहना है कि सत्येंद्र जैन को झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है और यह दिल्ली सरकार के कामों को रोकने की साजिश है। हालांकि, ACB का कहना है कि जांच के दौरान आरोपों की पुष्टि हुई है, और जल्द ही इस मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी।
क्या होगी अगली कार्रवाई?
ACB जल्द ही सत्येंद्र जैन से पूछताछ कर सकती है। प्रोजेक्ट से जुड़े अन्य अधिकारियों को भी तलब किया जा सकता है। BEL कंपनी से जुड़े दस्तावेजों की जांच की जाएगी। अब देखना होगा (New Delhi) कि सत्येंद्र जैन इस मामले में कानूनी लड़ाई कैसे लड़ते हैं और क्या दिल्ली सरकार इस मुद्दे पर कोई सफाई देती है या नहीं।