Who is Rohingya: रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर एक बार फिर बवाल शुरू हो गया है। केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने हाल ही में एक ट्वीट कर कहा कि दिल्ली में रह रहे रोहिंग्याओं को दिल्ली के बक्करवाला में बने फ्लैट में बसाया जाएगा। हालांकि, बाद में गृह मंत्रालय की ओर से इस बात का खंडन करते हुए कहा गया कि रोहिंग्याओं को फ्लैट में शिफ्ट कराने का कोई आदेश नहीं दिया है। उन्हें डिटेंशन सेंटर में ही रखा जाएगा।
कौन हैं रोहिंग्या?
रोहिंग्या म्यांमार के रखाइन में वाला मुस्लिम समुदाय है। जिसे अराकान भी कहा जाता है। और उनका कहना है कि उनके वंशज इस इलाके में 16 वीं सदी से रह रहे हैं। अंग्रेजों के कब्जे के बाद, आज के बांग्लादेश के रहने वाले श्रमिकों को वहां पर लाया जाने लगा। और धीरे-धीरे रखाइन में बड़ी संख्या में रोहिंग्या की आबादी बढ़ गई। बाद में 1948 में म्यांमार जब आजाद हुआ, उसी समय से वहां की बहुसंख्यक बौद्ध आबादी और रोहिंग्या मुस्लिम के बीच विवाद शुरू हो गया। बाद में जनरल विन की सरकार ने 1982 में नया राष्ट्रीय कानून लागू कर, रोहिंग्या मुसलमानों की नागरिक का दर्जा खत्म कर दिया गया। और उसी के बाद म्यांमार सरकार रोहिंग्या मुसलमानों को देश छोड़ने के लिए मजबूर करती रही है।
भारत में कैसे आए रोहिंग्या?
1982 में म्यांमार सरकार ने एक कानून बनाया। इस कानून से रोहिंग्याओं का नागरिक दर्जा खत्म कर दिया गया। इसके बाद म्यांमार सरकार रोहिंग्याओं को अपने देश से भगाने के लिए तरह-तरह के उपाय करती रही। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में बांग्लादेश के रास्ते 80 और 90 के दशक में रोहिंग्या भारत में अवैध तरीके से घुस आए। हालांकि, 2017 में जब रखाइन प्रांत में रोहिंग्या के खिलाफ हिंसा भड़की तो बड़ी संख्या में करीब 7 लाख रोहिंग्या पलायन कर बांग्लादेश से होते हुए भारत में आ गए। बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल और मिजोरम-मेघालय के रास्ते ये देशभर के कई शहरों में बस गए।
भारत में कितने रोहिंग्या
अगस्त 2021 में लोकसभा में गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय बताया कि कि अवैध प्रवासी बिना वैध दस्तावेज के गैरकानूनी और गुप्त तरीके से देश में घुसते हैं। इस वजह से अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों का कोई सटीक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। वहीं ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 40 हजार रोहिंग्या भारत में रहते हैं। जहां तक रोहिंग्या पर भारत सरकार के रूख की बात है तो सरकार इन्हें अवैध मानती है और उन्हें म्यांमार वापस भेजना (Deport) चाहती है।
भारत में कहां-कहां बसे हैं रोहिंग्या?
अगस्त 2017 में राज्यसभा में केंद्र सरकार ने बताया था कि देश में करीब 40 हजार रोहिंग्याओं के होने की संभावना है। ये रोहिंग्या मुसलमान देश में बने अलग-अलग रिफ्यूजी कैम्पों में रह रहे हैं। दिल्ली के कालिंदी कुंज में भी रोहिंग्या रह रहे हैं। इसके अलावा दिल्ली से सटे मदनपुर खादर में भी रोहिंग्याओं की बस्ती है। भारत की बात करें तो रोहिंग्या मुस्लिम दिल्ली के अलावा, जम्मू, जयपुर, नूह (हरियाणा), हैदराबाद और उत्तर प्रदेश में भी बस गए हैं।
2017 में हुआ बड़ा नरसंहार
यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार करीब 1,30,000 हजार रोहिंग्या लोग आज भी शरणार्थी कैम्पों में रह रहे हैं। वहीं, छह लाख से ज्यादा रोहिंग्या लोग ऐसे हैं जिन्हें अभी भी अपने गांवों में ही बुनियादी सेवाओं तक से महरूम रखा गया है। साल 2017 में म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों का बड़े पैमाने पर नरसंहार हुआ। म्यांमार में सैकड़ों रोहिंग्या मार डाले गए, इसके बाद हजारों की संख्या में रोहिंग्या म्यांमार से जान बचाकर भाग गए। इसी के बाद बड़ी संख्या में रोहिंग्या शरणार्थी भारत भी पहुंचे। सबसे ज्यादा रोहिंग्या बांग्लादेश में हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार करीब पांच लाख रोहिंग्या बांग्लादेश में अवैध रूप से रह रहे हैं।
आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बुधवार को एक ट्वीट किया. इसमें उन्होंने लिखा, ‘भारत ने हमेशा उन लोगों का स्वागत किया है, जिन्होंने देश में शरण मांगी है. एक ऐतिहासिक फैसले में सभी रोहिंग्या शरणार्थियों को मूलभूत सुविधाएं, UNHCR का आईडी कार्ड और दिल्ली पुलिस की चौबीसों घंटे सुरक्षा दी जाएगी.’
हरदीप पुरी के ट्वीट पर बवाल बढ़ा तो गृह मंत्रालय ने सफाई देते हुए कहा कि रोहिंग्या शरणार्थियों को EWS फ्लैट देने के लिए कोई आदेश नहीं दिया गया है. गृह मंत्रालय ने रोहिंग्याओं को अवैध विदेशी बताया. गृह मंत्रालय ने कहा, ‘दिल्ली सरकार ने रोहिंग्याओं को नई जगह शिफ्ट करने का प्रस्ताव दिया था. गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया है कि अवैध विदेशी जहां रह रहे हैं, वहीं रहने दें, क्योंकि विदेश मंत्रालय ने संबंधित देश के साथ उन्हें निर्वासित करने का मामला उठाया है.’
गृह मंत्रालय ने अपने बयान में आगे बताया, ‘जब तक उन्हें उनके देश नहीं भेज दिया जाता, तब तक उन्हें डिटेंशन सेंटर में रखा जाएगा. दिल्ली सरकार ने मौजूदा लोकेशन को डिटेंशन सेंटर घोषित नहीं किया है. दिल्ली सरकार से तुरंत ऐसा करने को कहा गया है.’
रोहिंग्याओं को लेकर क्यों मचा है बवाल?
इस पूरे मामले पर बवाल खड़ा हो गया. आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा, ‘भारत के अंदर रोहिंग्याओं को लाने वाले भाजपाई, बसाने वाले भाजपाई और अब अपनी पीठ थपथपाने वाले भी भाजपाई.’ वहीं, दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ‘गुपचुप’ तरीके से रोहिंग्याओं को दिल्ली में स्थायी निवासी बनाने की कोशिश कर रही है.
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने दावा किया कि केजरीवाल सरकार ने ‘घुसपैठियों’ को EWS फ्लैट में शिफ्ट करने के लिए लेटर लिखा था. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने रोहिंग्याओं को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया है.
विश्व हिंदू परिषद ने भी इस पर सवाल उठाए. विश्व हिंदू परिषद ने कहा कि पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थी बरसों से दिल्ली में मजनू का टीला में अमानवीय स्थितियों में रह रहे हैं. ऐसे में रोहिंग्याओं को फ्लैट दिए जाने का प्रस्ताव निंदनीय है. रोहिंग्या शरणार्थी नहीं, बल्कि घुसपैठिए हैं.