“शादी” या “विवाह” एक ऐसा शब्द है जिसका दुनिया के हर एक समाज में अपना महत्वपूर्ण स्थान है। दो इंसान एक दूसरे को दिल से पसंद करते हैं, अपनी ज़िन्दगी के अहम पल एक दूसरे के साथ पूरी ज़िन्दगी आपस में बाटना चाहते हैं एक दूसरे के साथ रहने के इस निर्णय को समाज में शादी, विवाह, या फिर मैरिज कहते है। हमारे समाज में जो विवाह को लेकर एक मर्यादित संकल्पना बनी है उसके आधार पर हमने इस रिश्ते को एक स्री और पुरुष के संबंध में सोचा है।पर आज हम बात करेंगें समलैंगिक जोड़ो की।
समलैंगिक विवाह को स्पेशल मैरिज एक्ट में लाने की मांग
समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की एक समलैंगिक जोड़े की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर इस बारे में जवाब मांगा है। याचिका में समलैंगिक विवाह को भी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत लाने की मांग की गई है। कोर्ट ने संकेत दिया कि इस मसले पर केरल समेत अलग-अलग हाई कोर्ट में लंबित याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर कर एक साथ सुनवाई की जाएगी।
याचिकाकर्ताओं के दोनों वकीलों ने दी दलील
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने आज मामले की सुनवाई की। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में हैदराबाद के रहने वाले गे कपल सुप्रियो चक्रवर्ती और अभय डांग ने बताया वो करीब 10 साल से एक-दूसरे के साथ रिलेश्न में हैं। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट ने हमेशा अंतर-जातीय और अंतर-धार्मिक जोड़ों को अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने के अधिकार की रक्षा की है। कोर्ट में याचिकाकर्ताओं के दोनों वकीलों ने दलील दी है कि स्पेशल मैरिज एक्ट में अंतर धार्मिक और अंतर जातीय विवाह को संरक्षण मिला हुआ है, लेकिन समलैंगिक जोड़ों के साथ कानून में भेदभाव किया गया है। उनका कहना था कि वह सिर्फ समलैंगिकों को उनका अधिकार दिलाने की बात कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर किया था। उसी तरह पुट्टास्वामी मामले में निजता को मौलिक अधिकार का दर्जा दिया है। अब ज़रूरी है कि समलैंगिक विवाह को भी कानूनी मान्यता दी जाए। जिसके चलते जजों ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब देने की बात कही है।