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Supreme court का सख़्त रुख पुलिस द्वारा व्हाट्सऐप या अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से नोटिस भेजने पर लगी रोक

सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को व्हाट्सऐप या अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से नोटिस भेजने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी और बीएनएसएस के तहत तय प्रक्रिया का पालन जरूरी है। सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और उच्च न्यायालयों को निर्देश दिया गया है कि वे तीन हफ्तों में अनुपालन सुनिश्चित करें।

SYED BUSHRA by SYED BUSHRA
January 30, 2025
in दिल्ली
Supreme Court verdict on e-notice
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Supreme court verdict on e,notice नयी दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा है कि पुलिस किसी आरोपी को व्हाट्सऐप या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से नोटिस नहीं भेज सकती। यह निर्देश दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 2023 के तहत दिए गए नियमों के आधार पर दिया गया है।

नोटिस का तरीका तय है

न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने 21 जनवरी को आदेश दिया कि पुलिस सिर्फ उन्हीं तरीकों से नोटिस जारी करे, जो कानून में तय किए गए हैं। व्हाट्सऐप या अन्य ऑनलाइन माध्यम से भेजे गए नोटिस को वैध नहीं माना जाएगा। यह निर्देश सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस को दिया गया है।

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सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि व्हाट्सऐप जैसे माध्यमों का उपयोग नोटिस भेजने के लिए नहीं किया जा सकता, क्योंकि ये तरीके कानून में मान्य नहीं हैं। पुलिस को नोटिस जारी करने के लिए सीआरपीसी की धारा 41ए या बीएनएसएस की धारा 35 में दिए गए प्रावधानों का पालन करना होगा।

जांच में हुई गड़बड़ियों पर चिंता

यह मामला तब सामने आया जब वरिष्ठ वकील और न्यायमित्र सिद्धार्थ लूथरा ने कोर्ट में बताया कि पुलिस कई बार व्हाट्सऐप के जरिए नोटिस भेज देती है, लेकिन आरोपी उस नोटिस को नजरअंदाज कर देते हैं और जांच अधिकारी के सामने पेश नहीं होते। इससे न्याय प्रक्रिया प्रभावित होती है।

सतेंद्र कुमार अंतिल के मामले का जिक्र

यह निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने सतेंद्र कुमार अंतिल के केस में सुनवाई के दौरान दिया। अदालत ने यह भी कहा कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस को इस बात की जानकारी दी जाए कि वे तय प्रक्रिया का पालन करें।

उच्च न्यायालयों को निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने सभी उच्च न्यायालयों को भी आदेश दिया है कि वे अपनी संबंधित समितियों की बैठकें करें। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हर स्तर पर पालन हो। इसके अलावा, अधिकारियों को हर महीने अनुपालन रिपोर्ट पेश करनी होगी।

तीन हफ्तों की समय सीमा

सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल और सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को तीन हफ्ते के अंदर इस आदेश का पालन सुनिश्चित करने को कहा है।

Tags: Legal processpolice noticeSupreme Court
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