Supreme Court on Allahabad High Court decision: नई दिल्ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट के 17 मार्च को दिए गए एक विवादित फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। यह मामला नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म की कोशिश से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी।
क्या था इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला?
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 11 साल की बच्ची के साथ हुई घटना को लेकर एक फैसला दिया था, जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया। हाईकोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने कहा था कि पीड़िता के ब्रेस्ट को छूना और पाजामे का नाड़ा तोड़ना दुष्कर्म के प्रयास की श्रेणी में नहीं आता। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह महिला की गरिमा पर हमला जरूर है, लेकिन इसे दुष्कर्म की कोशिश नहीं माना जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लिया संज्ञान
इस फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका में मांग की गई थी कि कोर्ट केंद्र सरकार और इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दे कि वे इस फैसले के विवादित हिस्से को रिकॉर्ड से हटा दें। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था। लेकिन मंगलवार को खुद से इस पर संज्ञान लिया और अब इस पर बुधवार को सुनवाई होगी।
फैसले का हो रहा विरोध
इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद कई कानूनविदों और सामाजिक संगठनों ने इसका विरोध किया। कई सांसदों और विधायकों ने भी सुप्रीम कोर्ट से इस फैसले को रद्द करने की मांग की। इस फैसले के खिलाफ समाज में काफी आक्रोश देखने को मिला।
किन धाराओं में चलेगा केस
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 बी और पॉक्सो एक्ट की धारा 9/10 के तहत मुकदमा चलाने का आदेश दिया था। हालांकि, दुष्कर्म की कोशिश (IPC की धारा 376/511) के तहत मामला नहीं दर्ज किया गया। यही वजह है कि इस फैसले को लेकर विवाद खड़ा हुआ है।
अब क्या होगा इसमें आगे
अब जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान ले लिया है, तो बुधवार को सुनवाई के दौरान यह तय किया जाएगा कि हाईकोर्ट के इस फैसले को बदला जाएगा या नहीं। इस पर देशभर की निगाहें टिकी हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने अब इस पर खुद संज्ञान लिया है और बुधवार को इस मामले पर सुनवाई होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस फैसले पर क्या निर्णय लेता है।