नई दिल्ली: कनाडा में पढ़ रहे हजारों भारतीय स्टूडेंट्स के लिए बुरी खबर है। क्यूबेक में अचानक तीन कॉलेजों के बंद होने से स्टूडेंट्स के सामने गंभीर स्थिति बन गई है। प्रॉब्लम को देखते हुए ओटावा में मौजूद भारतीय उच्चायोग ने एजुकेशनल इंस्टिट्यूशंस की स्थिति में बदलाव से प्रभावित ऐसे छात्रों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। इस समस्या में कई ऐसे स्टूडेंट्स भी फंसे हैं जो इस समय भारत में हैं।
पूरा मामला समझिए
रिपोर्ट के मुताबिक मॉन्ट्रियल स्थित एम कॉलेज, शेरब्रुक स्थित सीडीई कॉलेज और लॉन्ग्यूइल स्थित सीसीएसक्यू कॉलेज ने अचानक छात्रों को नोटिस भेजा कि इसी महीने से कॉलेज पूरी तरह से बंद हो रहे हैं। ये तीनों कॉलेज एक ही फर्म, राइजिंग फीनिक्स इंटरनेशनल (RPI) इंक द्वारा चलाए जा रहे थे। अब इस कंपनी ने बैंकरप्सी की लिए अर्जी दी है। बता दें कि इस अर्जी से एक साल पहले क्यूबेक द्वारा एम कॉलेज और सीडीई कॉलेज समेत अन्य कई निजी कॉलेजों की जांच शुरू की गई थी। इनसे कई तरह की डिटेल मांगी गई थी. अब अचानक कॉलेज बंद होने की सूचना से इसमें पढ़ने वाले छात्र परेशान हो रहे हैं।
भारतीय उच्चायोग ने जारी की एडवाइजरी
परेशान छात्रों को समझ नहीं आ रहा है कि वो अब क्या करें, उनकी आगे की राह क्या होगी। इनमें से कई स्टूडेंट्स ऐसे हैं जिनसे बिना किसी चेतावनी के हजारों डॉलर की फीस के साथ आने को मजबूर किया गया था। भारत में रह रहे ऐसे कई स्टूडेंट्स ने भी उच्चायोग से संपर्क किया है। इन्हीं सब समस्याओं को देखते हुए भारतीय उच्चायोग अब सक्रिय हुई है और इस समस्या में फंसे छात्रों के लिए एडवाइजरी जारी की है। उनसे किसी भी तरह की समस्या होने पर उच्चायोग से संपर्क करने को कहा गया है।
भारतीय उच्चायोग ने जो एडवाइजरी जारी की है उसमें छात्रों को अलर्ट करते हुए लिखा है, अगर किसी छात्र को फीस वापस मिलने में दिक्कत होती है तो वे क्यूबेक सरकार के उच्च शिक्षा मंत्रालय को शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इसमें कहा गया है कि खुद उच्यायोग भी स्टूडेंट्स के पैसे वापस दिलाने के लिए संघीय सरकार, क्यूबेक की प्रांतीय सरकार के साथ-साथ कनाडा के भारतीय समुदाय के निर्वाचित प्रतिनिधियों से भी मीटिंग कर रही है। एडवाइजरी में कहा गया है कि फंसे हुए स्टूडेंट्स ओटावा में उच्चायोग के शिक्षा विंग या टोरंटो में भारत के महावाणिज्य दूतावास से संपर्क करने के लिए स्वतंत्र हैं। एडवाइजरी में किसी भी अविश्ववसनीय एजुकेशनल इंस्टिट्यूट को किसी भी तरह का भुगतान करने से मना किया है। यह भी बताया गया है कि ऐसे किसी भी शख्स या कंपनी को पैसे का भुगतान न करें जो रुपये मिलने के बाद वीजा देने की बात कहें।