नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। देश की राजधानी दिल्ली में बीते 10 नवंबर को आतंकी हमला हुआ था। फिदायीन हमलावर ने खुद को कार के अंदर उड़ा लिया था। जिसके चलते अबतक 15 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि दर्जनों लोग अब भी अस्पताल में भर्ती हैं। इस आत्मघाती हमले को डॉक्टर उमर ने अंजाम दिया था। फिलहाल एनआई ब्लास्ट के अलावा फरीदाबाद सफेद कॉलर टेरर मॉड्यूल की जांच कर रही है। जांच के दौरान एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक डॉ. उमर ने शू-बम से यह धमाका किया था। जांच एजेंसियों को कार की ड्राइवर की सीट के नीचे जूता मिला है। जूते से एक धातु जैसा पदार्थ मिला है। वहीं टायर और जूते पर टीएटीपी विस्फोटक के निशान भी मिले। सूत्रों के मुताबिक उमर ने टीएटीपी विस्फोटक से हमले को अंजाम दिया था।
दिल्ली ब्लास्ट से हिल गया देश
दरअसल, फरीदाबाद सफेद कॉलर टेरर मॉड्यूल ने भारत के अंदर बड़ी आतंकी हमले की योजना बनाई थी। जांच एजेंसियों की जांच में सामने आया है कि इस पूरे नेटवर्क की रिमाट कंट्रोल पाक में बैठे आतंकियों के हाथों में थे। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक मौलवी को अरेस्ट किया और फिर एक-एक कर सफेद कॉलर टेरर मॉड्यूल के विलेन के चेहरे बाहर आए। पुलिस ने फरीदाबाद से 2900 केजी विस्फोटक पदार्थ बरामद किया। आधा दर्जने डॉक्टरों को दबोचा। पुलिस की चंगुल से डॉक्टर उमर निकलने में कामयाब रहा और उसने दिल्ली स्थित लाल किला के पास आत्मघाती हमले कर खुद को उड़ा लिया। दिल्ली ब्लास्ट ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। एनआईए से लेकर एटीएस की टीमें लगातार ऑपरेशन चलाए हुए हैं और अभी तक 12 से अधिक आतंकी पकड़े गए हैं।
अंदेशा है कि यही विस्फोट का मेन ट्रिगर
दिल्ली ब्लास्ट की जांच में एक और सनसनीखेज खुलासा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक डॉक्टर उमर ने ’शू-बम’ से दिल्ली में धमाका किया था। उमर ने जूतों के जरिए बम को एक्टिवेट किया था। सूत्रों के मुताबिक, जांच एजेंसी को घटनास्थल से ऐसे सबूत मिले हैं, जिससे साबित होता है कि उमर ने शू बम का इस्तेमाल किया है। फॉरेंसिक जांच में विस्फोटक के ट्रेसेस कार की ड्राइविंग सीट के नीचे मिले जूते और टायर से बरामद हुए हैं। जांच कर रही टीम को कार की ड्राइविंग सीट के सीट से एक जूता मिला, जिसमें मेटल नुमा सबस्टेंस पाया गया है। अंदेशा है कि यही विस्फोट का मेन ट्रिगर है। इसी से ब्लास्ट को अंजाम दिया गया है। जांच एजेंसियों को इसके अलावा कार की पीछे की सीट के नीचे भी विस्फोटकों के सबूत मिले हैं। जांच एजेंसियों को कार के अंदर से उमर का कटा पैर भी मिला है, जो स्ट्रेरिंग में फंसा था।
टीएटीपी का मिश्रित इस्तेमाल किया गया
सूत्रों के मुताबिक आतंकियों ने बड़े धमाके की प्लानिंग के लिए भारी मात्रा में टीएटीपी इकट्ठा कर रखा था। हमले में अमोनियम नाइट्रेट के साथ टीएटीपी का मिश्रित इस्तेमाल किया गया है। बता दें कि टीएटीपी यानी ट्रायएसीटोन ट्राइपेरोक्साइड एक बेहद खतरनाक विस्फोटक है। आतंकी इसे ’मदर ऑफ शैतान’ भी कहते हैं। थोड़ी सी गर्मी, घर्षण या स्पार्क करने से जोरदार धमाका करता है, इसलिए आतंकी या स्लीपर सेल इसे पसंद करते हैं। लंदन, पेरिस और मिडिल ईस्ट के कई हमलों से टीएटीपी इस्तेमाल हो चुका है। इसके धमाके की ताकत बहुत ज्यादा होती है और ब्लास्ट के बाद ज्यादा निशान नहीं छोड़ता, इसलिए जांच एजेंसियों को मुश्किल आती है। जैश जैसे टेरर ग्रुप इसे बड़े हमलों के लिए इस्तेमाल करते हैं।
रिचर्ड रीड, जिसे ‘शू बॉम्बर’ के नाम से जाना गया
एक रिपोर्ट के टीएटीपी के बारे में कहा जाता है कि अगर आप छींकते हैं तो भी यह विस्फोटक फट जाता है। शू बॉम्बर को लेकर एक बड़ा खुलासा 2001 में हुआ था। आतंकी अमेरिकी फ्लाइट में बड़ी तबाही मचाने की तैयारी थी। साजिश रचने वाले का नाम था रिचर्ड रीड, जिसे ‘शू बॉम्बर’ के नाम से जाना गया। रीड आतंकी संगठन अल-कायदा के मेंबर था। दिसंबर 2001 में वह फ्रांस की राजधानी पेरिस से अमेरिका के मियामी जा रही अमेरिकन एयरलाइंस की फ्लाइट में अपने जूतों में छिपे विस्फोटक के फ्यूज जलाने की कोशिश की थी और तभी उसे अन्य यात्रियों ने पकड़ लिया था। रीड ने अपने जूतों में जो विस्फोटक छिपाए थे, वे टीएटीपी ही थे। रीड ने एफआईए एजेंटों को बताया कि विस्फोट वाले जूते उसने खुद बनाए थे। एफआईए के बम तकनीशियनों ने जांच के बाद पाया कि जूतों में लगभग 283 ग्राम विस्फोटक थे।










