नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। 13 साल पहले 2012 में राउडी राठौड़ नाम की एक फिल्म रिलीज हुई थी। इस मूवी में बालीवुड स्टार अक्षय कुमार की एकिं्टग को दर्शकों ने खूब पसंद किया। अक्षय ने इसमें दबंग पुलिस अफसर की भूमिका निभाई थी। फिल्म में उनका डबल रोल था। रील के राठौड़ का जलवा पूरी दुनिया ने देखा, लेकिन एक ऐसा ही राउडी राठौर रियल लाइफ में है, जिसने वह कारनामा कर दिखाया है, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है। रियल लाइफ के इस वर्दीधारी नायक ने सफेद कॉलर टेरर मॉड्यूल पर ऐसा प्रहार किया, जिसके चलते करीब हजारों भारतीयों की जान बच गई। जांबाज आईपीएस सुपरकॉप ने सफेद कोटधारी विलेन पर के बनाए प्लान पर पानी फेर दिया। शातिर डॉक्टरों की टोली पर ऑपरेशन महादेव की तर्ज पर प्रहार कर पाकिस्तानियों की पतलून गीली कर दी।
हां कुछ लोग उसे रियललाइफ का राउडी कहते हैं तो कुछ जांबाज सुपरकॉप को नायक। कुछ ऐसे भी हैं, जो आईपीएस सिंघम का नाम सुनते थर-थर कांपने लगते हैं। भारत के इस आईपीएस राउडी से सबसे ज्यादा पाकिस्तानी डरते हैं। यही वजह रही कि जम्मू-कश्मीर राज्य के जिस जिले में आईपीएस की तैनाती रही, वहां टेरर और टेररिस्ट गायब हो गए। जिन्होंने आंख दिखाई आईपीएस अफसर ने उनकी मुलाकात तत्काल यमराज जी से करा दी। लेकिन रियललाइफ के राठौर ने इनदिनों ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जिसके चलते उनकी जबरदस्त चर्चा हो रही है। हां 2014 के बैच के आईपीएस जीवी संदीप चक्रवर्ती ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद बौखलाए आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की बड़ी आतंकी साजिश को विफल कर दिया। आईपीएस ने फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल को जमीदोज कर तहलका मचा दिया।
एक्स के बॉयो में आईपीएस जीवी संदीप चक्रवर्ती ने लिखा है कि ट्रेनिंग से डॉक्टर हूं लेकिन च्वाइस से लोकसेवक हूं। डॉक्टरी का पढ़ाई कर चुके जीवी संदीप चक्रवती ने जैश-ए-मोहम्मद के डॉक्टरों के जरिए ही भारत में आतंकी हमले की साजिश को बेनकाब किया है। अब हम आपको बताते हैं कि आईपीएस जीवी संदीप चक्रवर्ती की चर्चा क्यों हो रही है। दरअसल, जम्मू कश्मीर में इसी साल अप्रैल में जब बड़ा प्रशासनिक फेरबदल हुआ था तब जीवी संदीप को श्रीनगर का एसएसपी बनाया गया था। जीवी संदीप चक्रवर्ती एसएसपी श्रीनगर बनने से पहले अनंतनाग में तैनात थे। वह वहां के एसएसपी थे। आंध्र प्रदेश में जन्में जीवी संदीप चक्रवर्ती की गिनती बेहद तेजतर्रार अधिकारियों में होती है। चक्रवर्ती को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के एक गांव नौगाम की गलियों में उर्दू में लिखे पोस्टर लगे होने की जानकारी मिली।
पोस्टरों में लिखा था कि भारतीय दरिंदों को पनाह देने और शरिया के विरुद्ध काम करने के खिलाफ चेतावनी दी गई थी। इन पोस्टरों में लिखा था कि कुछ लोग इन भारतीय दरिंदों को अपनी दुकानों में पनाह देते हैं, जिससे हमारा काम बाधित होता है। इसलिए हम उन लोगों से खुले तौर पर कहना चाहते हैं। रुकें, वरना उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इन पर जैश-ए-मोहम्मदके एक सदस्य कमांडर हंजला भाई के हस्ताक्षर थे। पहली नज़र में ये पोस्टर सामान्य लग रहे थे, लेकिन श्रीनगर के एसएसपी डॉ. जीवी संदीप चक्रवर्ती ने इन नुकसान पहुंचाने वाली चेतावनियों के पीछे छिपे खतरे को तुरंत भांप लिया। चक्रवर्ती ने अपनी आदत के अनुसार इन पोस्टरों की गहन जांच शुरू की। सीसीटीवी फुटेज से जांचकर्ताओं को तीन ऐसे लोगों का पता चला जिन पर पहले भी पत्थरबाजी के अपराध दर्ज थे। जिससे जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में फैले एक नेटवर्क का खुलासा हुआ।
इसके बाद जम्मू कश्मीर की श्रीनगर पुलिस ने जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मॉड्यूल में शामिल कई कश्मीरी डॉक्टरों और अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया। इस ऑपरेशन में 2,900 किलोग्राम विस्फोटक, बम बनाने की सामग्री और एके-सीरीज राइफलें बरामद की गईं। यह श्रीनगर पुलिस का ही प्रेशर था कि 10 नवंबर को दिल्ली में लाल किले पास हड़बड़ी में ब्लास्ट किया गया। तेलुगु आईपीएस अधिकारी आतंकी मॉड्यूल से अनजान नहीं थे, इससे पहले उन्होंने ऑपरेशन महादेव में पहलगाम के तीन हमलावरों को मार गिराने में जम्मू-कश्मीर पुलिस का नेतृत्व किया था। इसके अलावा वह कई बड़े ऑपरेशन में शामिल रहे हैं। खुद हर ऑपरेशन को एसएसपी लीड करते रहे हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस द्धारा चलाए गए ऑपरेशन सफेद कॉलर की कमान आईपीएस जीवी संदीप चक्रवर्ती के हाथों में थी। सुरक्षा विषेशज्ञों का मानना है कि अगर जम्मू कश्मीर पुलिस ये ऑपरेशन नहीं चलाती। ये कार्रवाई नहीं करती तो सफेद कोट वाले टेररिस्ट भारत में हजारों लोगों का हताहत कर सकते थे।
जानकार बताते हैं कि आतंकियों के पास से जो 2900 केजी विस्फोट मिला है, उससे एक पूरा शहर बर्बाद हो सकता है। डॉक्टर केमिकल वेपन बनाकर बड़़ा नरसहांर कर सकते थे। आईपीएस के प्रहार से जैशके मनसूबों पर पानी फिर गया। फरीदाबाद टेरर से जुड़े सफेद कॉलर टेररिस्ट एक-एक कर पकड़े जा रहे हैं। यूपी से लेकर देश के अन्य शहरों से आधा दर्जन से अधिक जिहादी डॉक्टरों को पुलिस ने दबोचा है। वहीं डॉक्टर उमर ने खुद को कार समेत उड़ा लिया था। आतंकी डॉक्टर की विस्फोट से मौत हो गई थी। आतंकी का डीएनए करवाया गया। जानकार बताते हैं कि जम्मू-कश्मीर पुलिस के चलते ही उमर फरीदाबाद से भागा था। उसे पता चल गया था कि आईपीएस चक्रवर्ती उसके पीछे लगे हुए हैं। खुद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक्स पर लिखा था कि तुम भाग सकते हो, लेकिन बच नहीं सकते। जम्मू-कश्मीर पुलिस के इस बड़े ऑपरेशन ने बड़े आतंकी हमले को बेकनाब कर दिया।
जीवी संदीप चक्रवर्ती मूलरूप से जन्म आंध्र प्रदेश के कुरनूल के रहने वाले हैं। उनका जन्म में एक ऐसे परिवार में हुआ था जो जनसेवा में समर्पित था। उनके पिता, डॉ. जीवी राम गोपाल राव, सरकारी सामान्य अस्पताल में रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर (आरएमओ) के पद पर कार्यरत थे, और उनकी मां, पीसी रंगम्मा, स्वास्थ्य विभाग में एक अधिकारी थीं। जीवी संदीप चक्रवर्ती ने कुरनूल के ए-कैंप स्थित मोंटेसरी पब्लिक स्कूल में उनकी प्रारंभिक शिक्षा ने उनमें अनुशासन और जिज्ञासा का संचार किया। उन्होंने कुरनूल मेडिकल कॉलेज से चिकित्सा की पढ़ाई की और 2010 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। अपने संस्थान (2010-2011) में कुछ समय तक चिकित्सा का अभ्यास करने के बाद, संदीप ने एक अलग ही चुनौती का सामना किया। इसके बाद वह 2014 में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हो गए। चक्रवर्ती अभी तक एसपी दक्षिण श्रीनगर, एसपी हंदवाड़ा, एसएसपी कुपवाड़ा, एसएसपी कुलगाम, एसएसपी अनंतनाग रह चुके हैं। जहां उन्होंने जटिल सुरक्षा चुनौतियों वाले जिलों का नेतृत्व किया। यह चक्रवर्ती की जांच का कमाल है कि आतंक के सफेदपोश मॉड्यूल के 10 से अधिक सदस्य गिरफ्तार हो चुके हैं।
