
कई इलाकों में हवा इतनी जहरीली हो गई है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को गंभीर श्वसन संबंधी खतरों के प्रति सतर्क किया है।
पर्यावरणीय आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली की हवा में सांस लेना अब प्रतिदिन कई सिगरेट पीने के बराबर हो गया है। ‘बहुत खराब’ श्रेणी वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोग ऐसी हवा में सांस ले रहे हैं, जो रोजाना 6 से 10 सिगरेट पीने जितनी हानिकारक है, जबकि ‘गंभीर’ श्रेणी वाले इलाकों में यह प्रभाव 16 से 20 सिगरेट प्रतिदिन के बराबर बताया जा रहा है।
सुबह की प्रार्थना सभाएं, शारीरिक शिक्षा की कक्षाएं और खेलकूद की गतिविधियाँ अब छात्रों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए स्कूल के अंदर कराई जा रही हैं। कई स्कूलों में कक्षाओं और सभागारों में एयर प्यूरीफायर भी लगाए गए हैं।
प्रशासन ने सरकारी और निजी दोनों स्कूलों को बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विंटर एक्शन प्लान (Winter Action Plan) का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए हैं। इस योजना में बच्चों की बाहरी गतिविधियों को सीमित करने, स्वच्छ इनडोर वातावरण बनाए रखने और पूरे दिन वायु गुणवत्ता की निगरानी करने जैसे कदम शामिल हैं।
जैसे-जैसे वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, अभिभावक संघों ने दिल्ली सरकार से तुरंत ऑनलाइन कक्षाओं की व्यवस्था शुरू करने की मांग की है। उनका कहना है कि खराब होती हवा के कारण बच्चे लगातार बीमार पड़ रहे हैं और स्कूल आने में असमर्थ हो रहे हैं।
क्या प्रदूषण के कारण स्कूल बंद होंगे?
मौजूदा स्थिति को देखते हुए, इस बात की अटकलें लगाई जा रही हैं कि सरकार जल्द ही स्कूलों को अस्थायी रूप से बंद करने या ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करने की घोषणा कर सकती है।
छात्रों और अभिभावकों को सलाह दी गई है कि वे अपने-अपने स्कूलों से संपर्क में रहें और आगे के अपडेट प्राप्त करें।
ऐसी ही स्थिति 2024 में भी बनी थी, जब दिल्ली सरकार ने GRAP-IV प्रतिबंधों के लागू होने के बाद कई दिनों के लिए स्कूल बंद करने का आदेश दिया था।
बढ़ते AQI स्तर ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली को स्मॉग से भरे सर्दी के महीनों में प्रवेश करते समय मजबूत वायु गुणवत्ता प्रबंधन की तत्काल आवश्यकता है।