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नोटबंदी के 9 साल: अनुभव, असुविधा और सुधार, पूर्ण परिणाम की अब भी तलाश

नोटबंदी के 9 वर्षों के अनुभवों, असुविधाओं, सुधारों और सुधार के प्रयासों को तनोटबंदी ने देश की आर्थिक गतिविधियों और जनजीवन दोनों को प्रभावित किया। इस फैसले के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू सामने आए।थ्यात्मक दृष्टिकोण से प्रस्तुत करता है, जो एक बड़ी ऐतिहासिक घटना के प्रभाव को समझने में मदद करता है।

Swati Chaudhary by Swati Chaudhary
November 8, 2025
in देश
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8 नवंबर 2016 को भारत सरकार ने घोषित किया था एक ऐतिहासिक और विवादास्पद कदम—नोटबंदी। तत्कालीन प्रधानमंत्री ने 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को अवैध घोषित कर दिया था, जिसका मुख्य उद्देश्य था देश से काला धन, भ्रष्टाचार और आतंकवाद वित्त पोषण को खत्म करना। अब जब नोटबंदी को 9 साल पूरे हो गए हैं, तो यह जानना जरूरी है कि इस फैसले के बाद क्या बदलाव आए, क्या हमने इसे भुला दिया या कुछ बातें आज भी हमारे दिलो-दिमाग में ताजा हैं।

याद रखने वाली बातें:

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नोटबंदी ने तत्काल रूप से नकदी की भारी कमी पैदा कर दी थी। देशभर के बैंक और एटीएम पर लंबी कतारें देखने को मिलीं। लोगों को बड़ी असुविधा का सामना करना पड़ा, खासकर छोटे व्यवसायी, मजदूर और नोटों के बिना चलने वाले वर्ग। हालांकि सरकार ने इसे कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा हथियार बताया।

भूलने वाली बातें:

समय के साथ कई लोगों की याददाश्त से नोटबंदी का असर कम होता गया। रोजमर्रा की जिंदगी पुनः पटरी पर आ गई और नकदी व्यवस्था सामान्य हुई। इसके प्रभाव से जुड़े कई विवादित मुद्दे जैसे आर्थिक मंदी, रोजगार की कमी, और औद्योगिक संटरों में गिरावट आदि धीरे-धीरे पीछे छूट गए।

क्या रहा याद?

नोटबंदी ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दिया। यूपीआई, मोबाइल वॉलेट जैसे विकल्प आम हो गए। कई व्यक्तियों और व्यवसायों ने कैशलेस व्यवस्था को अपनाया। यह भारत की आर्थिक प्रणाली में एक बड़ा आधुनिक बदलाव था।

साथ ही, कालेधन पर अंकुश लगाने के प्रयास के बावजूद, विशेषज्ञों के अनुसार कुछ हद तक भ्रष्टाचार और अवैध धन अभी भी नियंत्रण से बाहर है। आलोचक भी कहते हैं कि नोटबंदी के कुछ प्रभाव दीर्घकालिक और कुछ अल्पकालिक रहे।

नोटबंदी ने देश की आर्थिक गतिविधियों और जनजीवन दोनों को प्रभावित किया। इस फैसले के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू सामने आए। आज 9 साल बाद हम देखते हैं कि यह कदम भारत की आर्थिक प्रगति और तौर-तरीकों में बदलाव का कारण बना, लेकिन पूर्ण परिणाम तलाशना अभी बाकी है।

Tags: 9 years demonetisation reviewcash ban India analysisdemonetisation impact Indiadigital payments India growthIndia economy demonetisation effect
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Swati Chaudhary

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