भारत सरकार LPG सब्सिडी के फॉर्मूले में बड़ा बदलाव करने पर विचार कर रही है, क्योंकि अब घरेलू गैस का एक अहम हिस्सा अमेरिका से लंबे कॉन्ट्रैक्ट के तहत आएगा और उसका खर्च खाड़ी देशों की तुलना में कहीं ज्यादा है।
US के साथ पहली बड़ी LPG डील
इंडियन ऑयल, BPCL और HPCL जैसी सरकारी कंपनियों ने पहली बार US Gulf Coast से लगभग 2.2 मिलियन टन LPG की सालाना सप्लाई के लिए 1‑साल का स्ट्रक्चर्ड कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है, जो 2026 की कुल LPG जरूरतों का करीब 10% होगा।
यह डील अमेरिकी बेंचमार्क Mont Belvieu प्राइसिंग के आधार पर हुई है, जबकि अभी तक भारत सब्सिडी की गणना मुख्यतः Saudi Contract Price (CP) के हिसाब से करता रहा है।
अभी सब्सिडी कैसे तय होती है?
मौजूदा फॉर्मूले में घरेलू LPG सब्सिडी की गणना Saudi CP + फॉरेक्स + कुछ लॉजिस्टिक और टैक्स एलिमेंट्स पर आधारित है।
यानी मानक यह है कि अगर सऊदी से आने वाला LPG कितना पड़ेगा, उसके मुकाबले सिलेंडर की खुदरा कीमत और उपभोक्ता पर बोझ देखकर सब्सिडी तय की जाती है।
क्या बदलना चाहती हैं तेल कंपनियां?
अब सरकारी तेल कंपनियां चाहती हैं कि सब्सिडी फॉर्मूले में US स्टैंडर्ड / Mont Belvieu आधारित प्राइस और
अटलांटिक पार से आने वाले LPG की वास्तविक लॉजिस्टिक कॉस्ट भी जोड़ी जाए।रिपोर्टों के मुताबिक, US Gulf Coast से LPG लाने की फ्रेट और लॉजिस्टिक कॉस्ट खाड़ी देशों (सऊदी आदि) के मुकाबले लगभग 3–4 गुना तक ज्यादा है।
लॉजिस्टिक कॉस्ट 4 गुना क्यों?
US से LPG लाने के लिए बहुत लंबा समुद्री रूट, बड़े VLGC टैंकर, इंश्योरेंस और हैंडलिंग कॉस्ट जुड़ते हैं।
अनुमानित फ्रेट:
US Gulf Coast → भारत: लगभग 130–140 डॉलर/टन,
वहीं Gulf (सऊदी/कतर/UAE) → भारत: इसका लगभग एक तिहाई।
इसलिए अगर प्रोडक्ट प्राइस पर छूट न हो, तो US LPG भारत के लिए कम से कम ~10% महंगा पड़ सकता है और लॉजिस्टिक कॉस्ट मिलाकर सऊदी बेस के मुकाबले 3–4 गुना पर असर दिखता है।
इसका आपकी जेब पर क्या असर हो सकता है?
अगर सरकार फॉर्मूला सिर्फ कागज़ पर बदले लेकिन
या तो अतिरिक्त सब्सिडी खुद वहन करे,
या US सप्लायर पर्याप्त डिस्काउंट दें, तो उपभोक्ता के लिए सिलेंडर की कीमत में तुरंत बड़ा झटका जरूरी नहीं है।
सरकार बजट सीमित रखती है और US LPG की ऊंची लॉजिस्टिक कॉस्ट को सब्सिडी फॉर्मूले में पूरा‑पूरा जोड़ देती है, तो लंबे समय में बिना सब्सिडी वाले या आंशिक सब्सिडी वाले LPG सिलेंडर के दाम बढ़ने का जोखिम बन सकता है।
सरकार क्या कह रही है?
इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त और पेट्रोलियम मंत्रालय स्तर पर यह चर्चा चल रही है कि “सब्सिडी फॉर्मूला को नए सोर्स‑मिश्रण (Saudi + US) के अनुरूप अपडेट किया जाए”, लेकिन अंतिम निर्णय पर कोई आधिकारिक नोटिफिकेशन अभी जारी नहीं हुआ है।
सरकारी संकेत यह भी हैं कि उज्ज्वला और गरीब परिवारों पर बोझ न बढ़े, इसके लिए अतिरिक्त डिस्काउंट/सप्लायर नेगोशिएशन या बजटीय सपोर्ट के विकल्प देखे जा रहे हैं।



