Dhanteras 2025 : पूजा में जरूर रखें ये 6 शुभ चीजें, चमकेगी किस्मत और बरसेगा मां लक्ष्मी का आशीर्वाद!

इस साल धनतेरस का पर्व 18 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। मान्यता है कि इसी दिन भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। तभी से धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की परंपरा चली आ रही है।

Dhanteras 2025

Dhanteras 2025 :  श्री लक्ष्मीनारायण एस्ट्रो सॉल्यूशन, अजमेर की निदेशिका एवं प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्या नीतिका शर्मा के अनुसार, इस वर्ष धनतेरस का पर्व 18 अक्टूबर 2025 (शनिवार) को मनाया जाएगा। यह दिन भगवान धनवंतरी की जयंती के रूप में भी जाना जाता है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी और भगवान धनवंतरी का प्राकट्य हुआ था। भगवान धनवंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, जबकि मां लक्ष्मी धन और समृद्धि की देवी के रूप में प्रकट हुईं। इसी कारण से धनतेरस के दिन धन, आरोग्य और सौभाग्य की आराधना की जाती है।

क्यों की जाती है बर्तन खरीदने की परंपरा?

धनतेरस, जिसे धनत्रयोदशी या धनवंतरी जयंती भी कहा जाता है, दीपावली के पांच दिवसीय पर्व का प्रथम दिन होता है। इस दिन सोना-चांदी, बर्तन या अन्य शुभ वस्तुओं की खरीदारी अत्यंत मंगलकारी मानी जाती है। ऐसा विश्वास है कि धनतेरस पर खरीदी गई वस्तुएं तेरह गुना लाभ देती हैं और घर में स्थायी सुख-समृद्धि लाती हैं। चूंकि भगवान धनवंतरी अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे, इसलिए धातु के बर्तनों की खरीदारी को अमृत का प्रतीक माना जाता है। चिकित्सक इस दिन विशेष रूप से भगवान धनवंतरी की पूजा करते हैं।

त्रयोदशी तिथि का समय:

यमदीपदान का महत्व

ज्योतिषाचार्या नीतिका शर्मा के अनुसार, धनतेरस की शाम “यमदीपदान” करना अत्यंत शुभ होता है। कहा गया है कि इस दिन घर के बाहर दीप जलाने से रोग, शोक, भय और अकाल मृत्यु के योग समाप्त हो जाते हैं।

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इस विधि के अनुसार, घर के मुख्य द्वार पर गोबर से लेपन कर दो मिट्टी के दीपक रखें, उनमें तेल डालकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके दीप प्रज्वलित करें और “दीपज्योति नमोस्तुते” मंत्र का जाप करें। इससे यमराज प्रसन्न होते हैं और परिवार में दीर्घायु बनी रहती है।

मां लक्ष्मी के स्वागत की तैयारी

धनतेरस के दिन घर के मुख्य द्वार पर सुंदर रंगोली बनाकर मां लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है। साथ ही महालक्ष्मी के पांवों के छोटे-छोटे पदचिह्न भी लगाए जाते हैं जो धन और सौभाग्य के आगमन का प्रतीक हैं। इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान धनवंतरी और कुबेर जी की पूजा करने की परंपरा है। प्राचीन काल में लोग इस दिन नए बर्तन में क्षीर (खीर) बनाकर भगवान धनवंतरी को भोग अर्पित करते थे।

मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने वाली शुभ वस्तुएं

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