Abhishek Bachchan On Aaradhya Bachchan: हाल ही में अभिनेता एक इंटरव्यू में अभिषेक बच्चन ने खुलासा किया कि उन्होंने और उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय बच्चन ने इसीलिए अपनी बेटी आराध्या बच्चन को तलाक की अफवाहों से दूर रखा क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि उसकी पढ़ाई या मानसिक शांति प्रभावित हो। उन्होंने कहा कि आराध्या के पास खुद का फोन नहीं है, इसलिए वह इन अफवाहों से पूरी तरह अनजान है।
अभिषेक ने मीडिया से बातचीत में बताया कि आराध्या “एक सामान्य” शिक्षक-छात्र जीवन जी रही है। वह स्कूल और होमवर्क पर फोकस करती है, और सोशल मीडिया या अफवाहों में उसकी दिलचस्पी नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया: “मैं नहीं सोचता कि उसने हमारे नाम गूगल पर सर्च किया होगा… उसे पढ़ाई पसंद है। उसकी माँ ने उसे अच्छे से समझाया है कि हर खबर भरोसे-लायक नहीं होती।” इस प्रकार, परिवार ने मिलकर सुनिश्चित किया कि अफवाहों का असर आराध्या पर न पड़े।
“हमने फैसला पहले ही कर लिया था” — आराध्या का फोन नहीं है
PeepingMoon संग बात करते हुए अभिषेक ने कहा कि 14-साल की आराध्या के पास फोन नहीं है। अगर उसके दोस्त उससे संपर्क करना चाहते हैं, तो वे उनकी माँ ऐश्वर्या के फोन पर कॉल करते हैं। यह निर्णय उन्होंने और ऐश्वर्या ने पहले ही लिया था। हां, आराध्या के पास इंटरनेट एक्सेस है लेकिन वो उसे पढ़ाई या प्रोजेक्ट्स के लिए उपयोग करती है। सोशल मीडिया, अफवाहों या किसी तरह की गॉसिप में उसकी दिलचस्पी नहीं है। इस व्यवस्था से, ये उम्मीद की जा रही है कि आराध्या बचपन और किशोरावस्था में सामान्य वातावरण में अपने परिवार और पढ़ाई दोनों पर ध्यान दे सकेगी।
तलाक की अफवाहों का खंडन
अभिषेक ने यह भी कहा कि अफवाहें “रुबिश, दुर्भावनापूर्ण और गलत” हैं। उन्होंने बताया कि जब उनकी पत्नी ऐश्वर्या गर्भवती थीं, तब उन्होंने धूम्रपान और शराब दोनों छोड़ दी थीं; और अब उन्होंने इनसे पूरी तरह दूरी बना ली है। पिछले कुछ सालों से मीडिया में इन अफवाहों को बार-बार हवा मिलती रही है — दोनों की पब्लिक अपीयरेंस कम होने, सोशल मीडिया पोस्ट न करने आदि को आधार बना कर। लेकिन परिवार ने कभी सार्वजनिक रूप से इसपर कोई टिप्पणी नहीं की। अब अभिषेक का ये बयान इन अफवाहों को एक बार फिर खारिज करता है।
परिवार की प्राइवेसी और बच्चों की अच्छी परवरिश
हालिया बयानों से स्पष्ट हुआ है कि अभिषेक और ऐश्वर्या चाहते हैं कि उनकी बेटी एक सामान्य-संतुलित जीवन जिए — अफवाहों और मीडिया ट्रॉलिंग से दूर। वे उसे सोशल मीडिया की दुनिया में लेकर आने के बजाए, पढ़ाई और असली जीवन पर ध्यान देने की प्रेरणा देते हैं। उनकी यह सोच बच्चों की मानसिक सेहत, शिक्षा और सामान्य बचपन को प्राथमिकता देने की ओर इशारा करती है।










