Lata Mangeshkar: जिनकी आवाज़ हमेशा अमर रहेगी लता मंगेशकर, जिन्हें ‘स्वर कोकिला’ और ‘बुलबुल-ए-हिंद’ कहा जाता है, हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगी। उनकी आवाज़ से करोड़ों लोग जुड़े हैं और उनके गाने आज भी उतने ही लोकप्रिय हैं जितने पहले थे। 6 फरवरी 2022 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन उनकी मधुर आवाज़ हमेशा हमारे बीच रहेगी। आज उनकी तीसरी पुण्यतिथि पर, हम उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास और अनसुनी बातें आपके साथ शेयर कर रहे हैं।
असली नाम कुछ और था
लता मंगेशकर का असली नाम ‘हेमा’ था। लेकिन उन्होंने अपना नाम एक नाटक के किरदार ‘लतिका’ से प्रेरित होकर बदल लिया। उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर, जो एक जाने माने थिएटर एक्टर और शास्त्रीय गायक थे, के नाटक ‘भाव बंधन’ में एक किरदार था लतिका। उसी से प्रेरणा लेकर उनका नाम ‘लता’ रखा गया।
पांच साल की उम्र से गाने लगीं
लता मंगेशकर का संगीत से जुड़ाव बहुत छोटी उम्र से ही हो गया था। उनके पिता खुद एक बेहतरीन गायक थे, तो घर में संगीत का माहौल हमेशा बना रहता था। पांच साल की उम्र में ही उन्होंने गाना सीखना शुरू कर दिया था। एक बार, उन्होंने अपने पिता के एक शिष्य को गाते हुए सुना और तुरंत उसकी गलती पकड़ ली। इस पर उनके पिता को अहसास हुआ कि लता में खास हुनर है और वह एक बड़ी सिंगर बन सकती हैं।
पहला गाना रिकॉर्ड हुआ, लेकिन रिलीज़ नहीं हुआ
लता मंगेशकर ने पहली बार 1938 में शोलापुर के नूतन थिएटर में स्टेज परफॉर्म किया था। बाद में 1942 में मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ के लिए उन्होंने अपना पहला गाना रिकॉर्ड किया। लेकिन दुर्भाग्य से, यह गाना फिल्म के अंतिम कट में हटा दिया गया। हालांकि, यह उनकी संगीत यात्रा की शुरुआत थी और आगे चलकर उन्होंने हजारों गाने गाए।
गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज
लता मंगेशकर का नाम 1974 में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ था। कारण, उन्होंने करीब 25,000 गाने रिकॉर्ड किए थे! हालांकि, इस दावे को लेकर विवाद भी हुआ, जब मशहूर गायक मोहम्मद रफी ने इस पर आपत्ति जताई थी। लेकिन इससे उनकी लोकप्रियता पर कोई असर नहीं पड़ा।
संगीत के लिए मिला सबसे बड़ा सम्मान
लता मंगेशकर को भारत रत्न, पद्म भूषण, पद्म विभूषण, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार और कई राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्होंने भारतीय संगीत को पूरी दुनिया में पहचान दिलाई।