Birthday Special: बैंक एम्पलाई से अभिनय के शिखर तक बाबू भाई का जीवन,जाने उनकी प्रेम कहानी और परिवार

परेश रावल और स्वरूप संपत की प्रेम कहानी यह सिखाती है कि सच्चा प्यार समय लेता है, लेकिन यदि इरादे मजबूत हों, तो कोई भी मुश्किल उन्हें दूर नहीं कर सकती।

Paresh Rawal birthday special life and love story

Paresh Rawal Birthday Special: Life, Love Story & Family : परेश रावल का जन्म 30 मई 1955 को मुंबई में हुआ था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक साधारण इंसान की तरह की। पहले वह बैंक ऑफ बड़ौदा में नौकरी करते थे, लेकिन उनका मन उस काम में नहीं लगता था। उन्हें एक्टिंग का शौक था, इसलिए उन्होंने थिएटर करना शुरू किया। मेहनत और लगन से उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में एक मजबूत पहचान बनाई।

अभिनय की दुनिया में खास पहचान

परेश रावल ने 1984 में फिल्म होली से बॉलीवुड में कदम रखा, लेकिन उन्हें असली पहचान मिली 1986 की फिल्म नाम से। उसके बाद उन्होंने ‘हेरा फेरी’, ‘आवारा पागल दीवाना’, ‘ओह माय गॉड’, ‘सरदार’ और ‘संजू’ जैसी दर्जनों फिल्मों में यादगार भूमिकाएं निभाईं। गंभीर किरदारों से लेकर हास्य भूमिकाओं तक, परेश ने हर भूमिका में अपनी छाप छोड़ी।

एक नजर में प्यार

परेश रावल की प्रेम कहानी भी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। एक दिन उन्होंने एक थिएटर फेस्टिवल में एक लड़की को गुलाबी साड़ी में देखा। उन्होंने अपने दोस्त से कहा, “ये लड़की मेरी बीवी बनेगी।” वो लड़की थीं स्वरूप संपत, जो बाद में मिस इंडिया बनीं। जब दोस्त ने बताया कि वो उनके बॉस की बेटी हैं, तो परेश ने साफ कहा, “कोई फर्क नहीं पड़ता, मैं तो इसी से शादी करूंगा।”

प्रस्ताव और शादी

पहली मुलाकात के बाद परेश ने स्वरूप को फिल्म देखने के लिए बुलाया और वहीं शादी की बात कर दी। उन्होंने साफ कहा कि वो सिर्फ शादी के इरादे से दोस्ती करेंगे। स्वरूप ने पहले थोड़ा समय मांगा लेकिन बाद में हां कह दिया। दोनों ने 12 साल तक एक-दूसरे को डेट किया और 1987 में शादी कर ली।

खुशहाल परिवार

परेश और स्वरूप के दो बेटे हैं।आदित्य और अनिरुद्ध। स्वरूप खुद भी एक सफल अभिनेत्री और शिक्षिका हैं। उन्होंने 1979 में मिस इंडिया का खिताब जीता था और मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।

सादा जीवन, ऊँचे विचार

परेश और स्वरूप की शादी किसी शाही अंदाज में नहीं हुई थी, बल्कि उन्होंने एक पेड़ के नीचे शादी की थी। उसमें नौ पंडित मौजूद थे और बहुत ही सादा तरीके से विवाह संपन्न हुआ। आज भी यह जोड़ी सादगी और आपसी सम्मान की मिसाल मानी जाती है।

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