The First Superstar of Kapoor Family-हिंदी सिनेमा के इतिहास में कपूर परिवार का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है। इस फिल्मी खानदान ने चार पीढ़ियों में बॉलीवुड को एक से बढ़कर एक सितारे दिए हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस परिवार की शुरुआत किसने की? वो शख्स थे पृथ्वीराज कपूर, कपूर परिवार के पहले सुपरस्टार।
बुआ से उधार लेकर पहुंचे मुंबई
पृथ्वीराज कपूर का जन्म 1906 में हुआ था। उन्होंने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत अविभाजित भारत के लायलपुर और पेशावर के थिएटर से की थी। साल 1927 में उन्होंने फिल्मों में करियर बनाने का फैसला किया और मुंबई आने का मन बनाया। लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे। तब उनकी बुआ ने कुछ रुपये उधार दिए, जिसे लेकर वो मुंबई की ओर रवाना हो गए।
शुरुआत में छोटे रोल और साइलेंट फिल्में
मुंबई आने के बाद उन्होंने फिल्मों में छोटे-छोटे रोल करने शुरू किए। यह उस दौर की बात है जब साइलेंट फिल्में बनती थीं और एक्स्ट्रा आर्टिस्ट्स को ज्यादा पहचान नहीं मिलती थी। 1930 में उन्हें पहली बार ‘सिनेमा गर्ल’ फिल्म में मुख्य भूमिका मिली। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा
नेगेटिव रोल से बनी पहचान
1929 से 1931 के बीच उन्होंने कुल नौ साइलेंट फिल्मों में काम किया। 1931 में जब भारत की पहली बोलती फिल्म ‘आलम आरा’ बनी, तो पृथ्वीराज उसमें खलनायक के रोल में नजर आए। शुरुआती दौर में उन्होंने अधिकतर सपोर्टिंग या निगेटिव किरदार निभाए, क्योंकि उनके लीड रोल वाली फिल्में बॉक्स ऑफिस पर खास नहीं चलीं।
1933 में स्टारडम की शुरुआत
1933 में आई फिल्म ‘राजरानी मीरा’ में उन्होंने सेकेंड लीड निभाई। फिल्म में उनके साथ के.एल. सहगल भी थे। इस फिल्म ने उन्हें इंडस्ट्री में पहचान दिलाई। इसके बाद उन्होंने ‘विद्यापति’ (1937) और ‘सिकंदर’ (1941) जैसी चर्चित फिल्मों में काम किया।
थिएटर की दुनिया में किया कमाल
फिल्मों में पहचान मिलने के बाद पृथ्वीराज कपूर ने ‘पृथ्वी थियेटर्स’ की स्थापना की। यह एक घूमता हुआ थिएटर ग्रुप था, जिसके जरिए उन्होंने देशभर में 2600 से ज्यादा लाइव परफॉर्मेंस दीं। हालांकि 1950 के दशक के आखिर में आर्थिक कारणों से उन्हें थिएटर बंद करना पड़ा और वे दोबारा फिल्मों की ओर लौटे।
मुगल-ए-आज़म से बनी आइकॉनिक पहचान
थिएटर से लौटने के बाद उन्होंने ‘आवारा’, ‘मुगल-ए-आज़म’ जैसी फिल्मों में दमदार सहायक भूमिकाएं निभाईं। अकबर के किरदार में उन्हें खूब सराहा गया। 60 के दशक में वो फिल्मों में लगातार नजर आते रहे। उनकी आखिरी बड़ी फिल्म ‘कल आज और कल’ (1971) थी।
कपूर खानदान की नींव
पृथ्वीराज कपूर के तीन बेटे राज कपूर, शम्मी कपूर और शशि कपूर सभी बड़े सुपरस्टार बने। उनके पोते रणधीर, ऋषि कपूर, और परपोते रणबीर, करिश्मा, करीना सभी आज भी इंडस्ट्री में सक्रिय हैं। उनके भाई त्रिलोक कपूर, चचेरे भाई सुरिंदर कपूर (बोनी, अनिल, संजय के पिता) और कमल कपूर भी फिल्मी दुनिया से जुड़े रहे।
कैंसर से निधन
पृथ्वीराज कपूर और उनकी पत्नी दोनों कैंसर से पीड़ित थे। बीमारी से लंबी लड़ाई के बाद मई 1972 को पृथ्वीराज कपूर का निधन हो गया। दो हफ्ते बाद उनकी पत्नी का भी देहांत हो गया।