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पिता कांग्रेसी फिर भी बेबी रानी मौर्य ने चुना बीजेपी का साथ, जानिए कैसे हवाई सफर के दौरान ही बन गई थीं राज्यपाल

Zeeshan Farooqui by Zeeshan Farooqui
April 3, 2022
in उत्तर प्रदेश, राज्य, लखनऊ
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लखनऊ: योगी आदित्यनाथ सरकार 2.0 में मंत्रियों को विभागों का बंटवारा हो चुका है। योगी सरकार 2.0 में पांच महिला मंत्रियों को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। इनमें बेबी रानी मौर्य, गुलाब देवी, प्रतिभा शुक्ला, रजनी तिवारी और विजय लक्ष्मी गौतम शामिल हैं। बात करेंगे बेबी रानी मौर्य की जिन्हे कैबिनेट में महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार मंत्रालय की कमान सौपी गई है। आगरा ग्रामीण विधानसभा सीट से बेबी रानी मौर्य ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उन्होंने उत्तराखंड के सातवें राज्यपाल के रूप में भी अपनी सेवा दी है। हालांकि, कार्यकाल पूरा होने से दो साल पहले ही उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उन्हें 2021 में बीजेपी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया। उन्हें आगरा जिले की पहली महिला मेयर होने का गौरव भी मिला है।

आगरा की एक बस्ती में बचपन बिताने वाली बेबी रानी मौर्य की शादी 1990 में बैंक अधिकारी प्रदीप कुमार मौर्य से हुई थी। शादी के बाद पांच साल तक वो राजनीति से दूर रही लेकिन साल 1995 में आगरा मेयर की सीट महिला के लिए रिजर्व हुई तो बेबी रानी मौर्य ने चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की। इसी के साथ बेबी ने राजनीति में अपना पहला कदम रखा। बेबी के पिता कांग्रेसी थे लेकिन ससुर संघ से थे। उन्होंने भी राजनीति में आने से पहले ही सोच लिया था कि चुनाव लड़ेंगी तो बीजेपी से ही। संयोग से उस वक्त बीजेपी भी आगरा के लिए मेयर प्रत्याशी ढ़ूंढ़ रही थी तो उनकी नजर बेबी पर पड़ी और बात आगे बढ़ गई। इस तरह बेबी मेयर का चुनाव जीत राजनीति की दुनिया में पदार्पण कर गई।

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साल 1997 में उन्हें भाजपा के राष्ट्रीय अनुसूचित जाति मोर्चा की कोषाध्यक्ष बनाया गया। और साल 2001 में राज्य सामाजिक कल्याण बोर्ड के सदस्य के रूप में उन्होंने काम किया। जिसके बाद साल 2002 में राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य के तौर पर भी उन्होंने जिम्मेदारी संभाली। इस दौरान उन्होंने प्रदेश की सक्रिय राजनीति में हिस्सा लेते हुए 2007 में आगरा की एत्मादपुर सीट से बीजेपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गईं।

साल 2018 में बेबी अपने बेटे के पास अमेरिका में थीं। उनकी राजनीति में दिलचस्पी थी तो उन्होंने सोचा था कि 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ेंगी। उससे पहले ही PMO से एक मैसेज आया, “मोदी जी मिलना चाहते हैं, आप भारत वापस आ जाइए।” वो वापस आ रहीं थीं। प्लेन में बैठीं ही थीं कि इधर घोषित कर दिया गया कि उन्हें उत्तराखंड का गवर्नर बना दिया गया है। वही अगस्त 2018 में बेबी रानी मौर्य को उत्तराखंड का गवर्नर बनाया गया। उन्होंने कृष्ण कांत पॉल की जगह ली। वह राज्य की दूसरी महिला राज्यपाल थीं। उनसे पहले मार्गरेट अल्वा ने बतौर राज्यपाल प्रदेश की जिम्मेदारी संभाली थी।

गवर्नर पद से इस्तीफे पर बेबी ने एक इंटरव्यू में कहा, “जब कोविड आया, हर तरफ लोग तकलीफ में थे। तब मैं गवर्नर रहते हुए लोगों की सेवा नहीं कर पा रही थी।” वो बोलीं, “मन में 24 घंटे ये चलता रहता था कि मैं कैसे उन तक पहुंचूं, कैसे मदद करूं। लोग तो गवर्नर के पास इतनी आसानी से पहुंच नहीं सकते। उसी समय मुझे लगा कि गवर्नर पद छोड़ देना चाहिए और जनता के बीच जाकर उनकी सेवा करनी चाहिए।” सितंबर 2021 में बेबी रानी मौर्य ने राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद बीजेपी ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी।

इसके बाद साल 2022 में आगरा ग्रामीण सीट पर बीजेपी विधायक हेमलता दिवाकर का विरोध हो रहा था। लोगों ने जगह-जगह उनके लापता होने और कार्य नहीं कराने के पोस्टर लगाए थे। इस विरोध के चलते ही उनका टिकट कटा। इस सीट पर पूर्व मेयर अंजुला सिंह माहौर को टिकट मिलने की भी चर्चा थी। मगर, पार्टी की ओर से बेबी रानी मौर्या पर भरोसा जताया गया। और आगरा ग्रामीण विधानसभा सीट से भाजपा की बेबी रानी मौर्य को बड़ी जीत हासिल हुई। उनके खाते में 1 लाख 37 हजार 310 वोट्स आए हैं, जबकि दूसरे नंबर पर रहीं बीएसपी की किरन प्रभा केशरी को 60 हजार 702 वोट्स मिले।

Tags: Baby Rani Mauryaup ministerUP Ministry of Women Welfare Child Development and Nutritionuttrakhand ex govnor
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Zeeshan Farooqui

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