Ghaziabad News: गाजियाबाद स्थित शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर और श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को खून से लिखे गए पत्र का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस पत्र में हिंदुओं के लिए शस्त्र लाइसेंस की प्रक्रिया को सरल बनाने की मांग की गई है। भाजपा नेता डॉ. उदिता त्यागी के एक वीडियो में उन्हें यति नरसिंहानंद गिरी के खून से यह पत्र लिखते हुए देखा गया जिसे एक अनूठे विरोध के रूप में देखा जा रहा है।
इस्लामिक जिहाद का भी जिक्र
महामंडलेश्वर ने अपने पत्र में भारत में इस्लामिक जिहाद की बढ़ती चुनौतियों का उल्लेख किया है। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज को योगी सरकार से यह उम्मीद थी कि उन्हें आत्मरक्षा के लिए शस्त्र लाइसेंस आसानी से प्राप्त होंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की कि आत्मरक्षा के लिए शस्त्र लाइसेंस की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए ताकि हिंदू समाज को अपनी सुरक्षा के लिए किसी और की ओर न देखना पड़े।
हिंदुओं को एकजुट करने की योजना
यति नरसिंहानंद गिरी (Ghaziabad News) ने घोषणा की है कि इस पत्र पर एक लाख हिंदुओं के हस्ताक्षर कराए जाएंगे। यह अभियान हिंदू समाज को एकजुट करने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया जा रहा है। मंदिर से जुड़ी भाजपा नेता उदिता त्यागी और अन्य सहयोगी इस पत्र को मुख्यमंत्री के जनता दरबार में सौंपने की योजना बना रहे हैं। महामंडलेश्वर ने यह भी चेतावनी दी कि यदि इस मांग पर कोई कार्रवाई नहीं होती है तो प्रदेशभर में बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।
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पत्र की लिखी है ये बातें
पत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सनातन धर्म का साक्षात आदित्य अर्थात सूर्य बताते हुए लिखा गया है कि हिंदू समाज उन्हें अपने रक्षक के रूप में देखता है। पत्र में यह भी कहा गया है कि लंबे समय से हिंदू समाज को कई लोगों ने छला है लेकिन अब वे चाहते हैं कि योगी आदित्यनाथ उनके इस मुद्दे पर ध्यान दें। पत्र में हिंदू समाज की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की गई है और इसे लेकर तत्काल कदम उठाने की मांग की गई है। पत्र के अनुसार हिंदू समाज ने कई लोगों को अपना तारणहार माना लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी। अब उनकी आशा केवल योगी आदित्यनाथ से है।
खून से लिखा पत्र वायरल
इस पत्र के वायरल (Ghaziabad News) होने के बाद यह मामला राजनीतिक रूप से भी गरमा गया है। हिंदू संगठनों ने इस मांग का समर्थन किया है और जल्द ही इसे लेकर एक बड़ा अभियान छेड़ने की योजना बनाई जा रही है। दूसरी ओर विपक्षी दल इसे एक सांप्रदायिक मुद्दा बताकर इसकी आलोचना कर रहे हैं। अब यह देखना होगा कि उत्तर प्रदेश सरकार इस मांग पर क्या रुख अपनाती है और क्या शस्त्र लाइसेंस प्रक्रिया में कोई बदलाव किया जाता है या नहीं।