Gorakhpur News: आंध्र प्रदेश के येलेश्वरम स्थित गौशाला से गोरखनाथ मंदिर लाए गए नादिपथि मिनिएचर नस्ल (पुंगनूर नस्ल की नवोन्नत ब्रीड) के गोवंश (एक बछिया और एक बछड़ा) का शनिवार को गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नामकरण किया। सीएम योगी ने बछिया का नाम भवानी और बछड़े का नाम भोलू रखा है। मंदिर की गौशाला में दक्षिण से आए गोवंश की इस जोड़ी का नाम रखने के बाद सीएम ने उनसे खूब बातें की और दुलारा। नादिपथि मिनिएचर नस्ल की गाय को दुनिया की सबसे छोटी गाय माना जाता है। इसे पुंगनूर नस्ल की ब्रीडिंग से विकसित किया गया है। इसे माइक्रो मिनिएचर भी कहा जाता है।
दक्षिण से आए गोवंश का स्वागत
गुरुवार की देर रात आंध्र प्रदेश के नादिपथि गौशाला से एक बछिया और एक बछड़ा गोरखनाथ मंदिर की गौशाला लाए गए थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Gorakhpur) ने शुक्रवार सुबह इन गोवंशों से मिलकर उन्हें अपने हाथों से गुड़ और चारा खिलाया। नादिपथि गौशाला से आए संचालक और नादिपथि मिनिएचर ब्रीड के अनुसंधानकर्ता डॉ. पी. कृष्णम राजू ने मुख्यमंत्री को इस नस्ल की विशेषताओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। डॉ. राजू ने कहा कि मुख्यमंत्री की गोसेवा और गोप्रेम को देखकर वह अभिभूत हो गए हैं।
Punganur cows takeover 🕉❤️🌺
Punganur dwarf cattle which originated from the Chitoor District of Andhra Pradesh in southern India is among the world's smallest humped cattle breeds making them perfect for adoption at homes in the 21st century. pic.twitter.com/V4UPGtDlIG— Rashmi Samant (@RashmiDVS) February 16, 2023
मुख्यमंत्री का गोवंश से स्नेह
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को गोवंश का नामकरण करते समय उनसे अपनत्व भरी बातें कीं (Gorakhpur) और गोवंश ने भी मुख्यमंत्री के स्नेह को तुरंत महसूस किया। उन्होंने बछिया का नाम भवानी और बछड़े का नाम भोलू रखा। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने गोसेवकों से गोवंश के स्वास्थ्य और पोषण के बारे में पूछताछ की और उनकी देखभाल के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए।
नादिपथि मिनिएचर नस्ल की विशेषताएं
नादिपथि मिनिएचर नस्ल को दुनिया की सबसे छोटी गाय माना जाता है। यह नस्ल (Gorakhpur) पुंगनूर नस्ल से विकसित की गई है, जिसे माइक्रो मिनिएचर के नाम से भी जाना जाता है। इन गायों की खासियत यह है कि इनकी ऊंचाई बेहद कम होती है, जो कि करीब 2-3 फीट होती है। इनका वजन भी 200 किलोग्राम से अधिक नहीं होता, जिससे इनका पोषण और देखभाल अन्य गोवंशों की तुलना में आसान होता है। यह नस्ल विशेष रूप से दूध उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है और कम जगहों में आसानी से रखी जा सकती है।
तिरुपति लड्डू विवाद: अयोध्या के राम मंदिर में आया प्रसाद जांच के घेरे में, साधु-संतों में रोष
गौशाला में भ्रमण
शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने गौशाला का भ्रमण करते हुए कई गोवंशों को उनके नाम से पुकारा। श्यामा, गौरी, गंगा, भोला जैसे नामों से पुकारते ही ये गोवंश उत्साह से मुख्यमंत्री की ओर दौड़ पड़े। मुख्यमंत्री ने उनके माथे पर हाथ फेरकर उन्हें दुलारा और गुड़ खिलाया। यह दृश्य दर्शाता है कि मुख्यमंत्री और गोवंश के बीच गहरा स्नेह और जुड़ाव है।
गोवंश की देखभाल के निर्देश
मुख्यमंत्री ने गौशाला के कार्यकर्ताओं से बातचीत में गोवंश के स्वास्थ्य, पोषण और देखभाल पर ध्यान देने के निर्देश दिए। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि सभी गोवंशों को आवश्यक पोषक तत्व समय पर मिलते रहें, जिससे उनका स्वास्थ्य बेहतर बना रहे।