Anxiety Causes and Treatment: आज कल की भाग दौड़ भारी जिंदगी में लोग समय के साथ-साथ टेंशन को भी साथ लेकर चलते है. हर छोटी से छोटी बात पर कॉन्शियस हो जाते है जो वास्तव में तनाव का एक रूप होता है. जिससे मानसिक रोग एंग्जाइटी की शुरुआत हो जाती है. एंग्जाइटी एक ऐसी समस्या है जिसे ज्यादातर लोग गंभीरता से नहीं लेते हैं. क्योंकि एंग्जाइटी को सिर्फ ज्यादा सोचने की आदत से जोड़कर देखा जाता है.
एक्सपर्ट की माने तो एंग्जाइटी से जूझ रहा व्यक्ति अपनी सोच और विचारों को रेग्युलेट करने में असमर्थ होता है. क्योंकि उसके दिमाग में लगातार आने वाले विचारों पर उसका कोई कंट्रोल नहीं होता! ये दिमाग में चलने वाला एक केमिकल लोचा है. मेडिकल की भाषा में कहें तो हॉर्मोनल डिसबैलंस का नतीजा. विशेषज्ञों की माने ज्यादा सोचने से एंग्जाइटी की समस्या नहीं होती है. हॉर्मोनल डिस्टर्बेंस से एंग्जाइटी होती है अधिक सोचने से नहीं.
आइए आपको बताते हैं एंग्जाइटी क्या है
एंजाइटी को सरल भाषा में समझे तो ये बॉडी का एक रिऐक्शन है, जो ब्रेन में बहुत सारी नेगेटिविटी और ढेर सारे नेगेटिव इमोशन्स इक्ट्ठा होने के बाद शरीर रिस्पॉन्स करता है. हर व्यक्ति में इसके अलग-अलग कारण और अलग-अलग स्तर हो सकते हैं. लेकिन ब्रेन फंक्शनिंग के आधार पर अगर बात करें तो सेरेटॉनिन की मात्रा कम होने और इसकी मात्रा बढ़ने, दोनों ही स्थिति में एंग्जाइटी की समस्या हो सकती है. हालांकि ज्यादा से ज्यादा केसेज में सेरेटॉनिन हॉर्मोन कम होने के कारण ही एंग्जाइटी की समस्या होती है.
जानिए क्या-क्या है एंग्जाइटी के लक्ष्ण
- अचानस से घबराहट हो जाना
- बिना किसी बात के धड़कनें बढ़ना
- हाई ब्लड प्रेशर की समस्या
- बिना बात के रोने की इच्छा करना
- पेट में बटरफ्लाई उड़ने जैसी फीलिंग
- चेहरे पर तेज झनझनाहट होना
- हाथों-पैर कांपना या कमजोरी फील होना
- काम के समय दिमाग का काम ना करना
- किसी भी काम में फोकस ना कर पाना
- कंसंट्रेशन खोना और मन विचलित होना
ऐसे कर सकते है एंग्जाइटी का इलाज
एंग्जाइटी का इलाज कर इसे पूरी तरह से नियंत्रित किया जा सकता है और लाइफ को भी पूरी तरह सामान्य बनाया जा सकता है. इसके लिए आपको सबसे पहले किसी सायकाइट्रिस्ट की मदद लेनी चाहिए. क्योंकि इसे बहुत ही सीमित दवाओं और काउंसलिंग से ठीक किया जा सकता है. अगर इसे नजरअंदाज किया गया तो यह बीमारी भविष्य में डिप्रेशन की वजह बन सकती है. मेडिटेशन और योग करके भी इसके असर को कम किया जा सकता है. इसके अलावा हेल्थी डाइट और प्रॉपर नींद भी जरूरी है.
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