Aparajita and Chirchira benefits : हमारे ऋषि मुनियों ने प्राचीन समय में ऐसे कई पौधों की महिमा जानी, जो न केवल बीमारियों के इलाज में काम आते थे बल्कि आध्यात्मिक साधना और ज्योतिषीय उपायों में भी उपयोगी थे। आज भी इन पौधों का महत्व कम नहीं हुआ है। आइए जानते हैं दो ऐसे अद्भुत पौधों के बारे में अपराजिता और चिड़चिड़ा (लटजीरा या अपामार्ग) जिनके गुण जानकर आप हैरान रह जाएंगे।
अपराजिता
सुंदर और गुणकारी पौधा
अपराजिता एक सुंदर और चमत्कारी पौधा है। इसे कुछ जगहों पर विष्णुकांता भी कहा जाता है। इसके दो प्रकार होते हैं नीले और सफेद फूलों वाला। आयुर्वेद, तंत्र और ज्योतिष में इस पौधे का बहुत महत्व है।
इसके आयुर्वेदिक उपयोग
त्वचा की चमक अपराजिता के फूल और पत्तों से बना उबटन त्वचा को जवान और चमकदार बनाए रखता है।
पथरी का इलाज
इसके फूलों का काढ़ा पीने से पेशाब की नली में फंसी पथरी बाहर आ जाती है।
जलन से राहत
गर्मी में पेशाब में जलन होने पर अपराजिता के पत्तों को पीसकर पेट के निचले हिस्से पर लगाने से राहत मिलती है।
धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व
इसे भगवान विष्णु का रूप माना जाता है प्राचीन योद्धा इसे शिखा में बांधकर युद्ध में अपराजित रहने की कामना करते थे।
तांत्रिक साधनाओं में इसका उपयोग होता है।
चिड़चिड़ा (लटजीरा या अपामार्ग) में है हर समस्या का समाधान
चिड़चिड़ा को लटजीरा और अपामार्ग भी कहते हैं। इसके बीज कपड़ों पर चिपकते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस पौधे की जड़ में देवी गंगा का वास होता है, जिससे इसे बेहद पवित्र माना गया है।
आयुर्वेदिक उपयोग
दांतों की मजबूती के लिए
इसकी दातुन करने से दांत मजबूत रहते हैं इसके पत्तों से बना मंजन दांतों की हर समस्या दूर करता है।
भूख को कम करना
साधु मुनि इसके बीजों की खीर खाकर भूख पर काबू रखते थे।
बिच्छू के डंक का इलाज
इसकी जड़ को डंक वाली जगह पर रगड़ने से बिच्छू का विष तुरंत खत्म हो जाता है।
धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व
इसे घर में लगाने से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है।
तांत्रिक साधनाओं में इसका इस्तेमाल बुरी शक्तियों से बचाव के लिए होता है।
चमत्कारी गुणों का महत्व
अपराजिता और चिड़चिड़ा जैसे पौधे न केवल औषधीय दृष्टि से बल्कि धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण हैं। सही तरीके से इनका उपयोग करने से जीवन की कई समस्याओं का समाधान हो सकता है।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी को पूरी तरह से सही या अंतिम सत्य मानने की जरूरत नहीं है। पाठकों से अनुरोध है कि वे इसे केवल सामान्य जानकारी के रूप में लें और अपनी समझ व विवेक का इस्तेमाल करें। हम इस जानकारी की पूरी सटीकता की गारंटी नहीं देते है।