क्या माइक्रोप्लास्टिक कण हमारी सांसों के जरिए शरीर में घोल रहे ज़हर, जानिए कैसे कैंसर को दे रहे न्योता

एक नई रिसर्च में पता चला है कि हम रोज़ाना सांस के जरिए लाखों माइक्रोप्लास्टिक कण शरीर में ले रहे हैं। ये कण कैंसर, स्ट्रोक और प्रजनन से जुड़ी गंभीर बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ा सकते हैं।

Cancer and Microplastic: हमारे आस-पास हर समय ऐसे छोटे-छोटे कण मौजूद रहते हैं, जिनका हमें अहसास तक नहीं होता। इन्हें हम रोज़ अपनी सांसों के साथ शरीर के अंदर खींच रहे हैं। हाल ही में हुई एक रिसर्च ने बताया कि इन अदृश्य कणों की वजह से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

शरीर के अंदर प्लास्टिक का ज़हर

हमारी बॉडी खून, मांस और लाखों-करोड़ों कोशिकाओं से बनी होती है। लेकिन अब इसमें धीरे-धीरे एक ऐसा ज़हर भर रहा है, जो जानलेवा हो सकता है। यह ज़हर और कुछ नहीं बल्कि माइक्रोप्लास्टिक है। हम दिनभर इतनी मात्रा में प्लास्टिक अपने शरीर में ले रहे हैं कि सोचकर ही डर लगे। ये छोटे कण हमारे फेफड़े, आंत और नसों को ब्लॉक कर सकते हैं, जैसे नालियों में फंसी प्लास्टिक गंदगी को रोक देती है।

कैसे घुसते हैं माइक्रोप्लास्टिक?

प्लास्टिक के कण इतने छोटे होते हैं कि आंखों से दिखाई ही नहीं देते। जब हम प्लास्टिक की बोतल में पानी पीते हैं या पैकेट वाले खाने का इस्तेमाल करते हैं, तो उसके साथ ये कण शरीर के अंदर चले जाते हैं। लेकिन रिसर्च बता रही है कि खाने-पीने के अलावा हम इन्हें हवा के साथ भी सांस में खींच रहे हैं।

रिसर्च कैसे हुई?

फ्रांस की एक यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने घर और कार की हवा के 16 सैंपल लिए। इन्हें एक खास तकनीक, रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी, से जांचा गया। नतीजा चौंकाने वाला था।घर की हवा में 528 माइक्रोप्लास्टिक प्रति क्यूबिक मीटर और कार की हवा में 2,238 माइक्रोप्लास्टिक प्रति क्यूबिक मीटर मिले। इनमें से 94% कण इतने छोटे थे कि सीधे फेफड़ों तक पहुंचकर उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं।

रोज़ कितनी प्लास्टिक सांस में जाती है?

रिसर्चर्स के अनुसार, एक वयस्क इंसान दिनभर में करीब 71,000 माइक्रोप्लास्टिक कण सांस के जरिए शरीर में खींच लेता है। इसमें से लगभग 68,000 कण बेहद छोटे होते हैं। यह पहले के अनुमान से 100 गुना ज्यादा पाया गया है।

बीमारियों का बढ़ता खतरा

इतने छोटे-छोटे प्लास्टिक कण शरीर के अलग-अलग हिस्सों में जमा होकर कोशिकाओं और टिश्यू के कामकाज को बिगाड़ सकते हैं। कई अध्ययनों में इन्हें कैंसर, स्ट्रोक, प्रजनन क्षमता में कमी और अन्य गंभीर बीमारियों का कारण बताया गया है।

माइक्रोप्लास्टिक एक ऐसा खतरा है, जो हमें बिना दिखे रोज़ हमारे शरीर के अंदर जा रहा है। यह न केवल फेफड़ों बल्कि शरीर के लगभग हर हिस्से को प्रभावित कर सकता है।

डिस्क्लेमर

यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। News1india इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता। यह किसी भी दवा या इलाज का विकल्प नहीं है। किसी भी परेशानी में हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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