कोबरा और करैत का यूपी के इन जिलो में ‘दबदबा’, कटखने सांपों ने 418 लोगों को डंसकर मचा दिया ‘तहलका’

फिलहाल 16 माह के दौरान कानपुर के अलावा आसपास के जिलों में सबसे ज्यादा दहशत कोबरा की देखी गई। हैलट की इमरजेंसी में सबसे अधिक रोगी कोबरा का शिकार हुए आते हैं।

कानपुर डेस्क। बारिश के मौसम में विषैले जीवजन्तु जंगलों से निकल कर लोगों के घरों पर दस्तक दे रहे हैं। इनमें सबसे ज्यदा संख्या सांपों की है। कोबरा के अलावा दूसरे अन्य प्रजाति के सांप लोगों को डंस रहे हैं। समय से इलाज नहीं मिलने के कारण कईयों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है। फिलहाल 16 माह के दौरान कानपुर के अलावा आसपास के जिलों में सबसे ज्यादा दहशत कोबरा की देखी गई। हैलट की इमरजेंसी में सबसे अधिक रोगी कोबरा का शिकार हुए आते हैं। दूसरे नंबर पर साइलेंट किलर कहे जाने वाले करैत सांप के काटे हुए रोगी आते हैं।

कहते हैं कोबरा सांप सबसे ज्यादा जहरीला होता है। बारिश के मौसम में कोबरा के बिलों पर पानी भर जाता है। ऐसे में ये विषैला जीव जंगलों को छोड़कर रहवासी इलाकों में हरवर्ष दाखिल हो जाता है। पिछले 16 साह के दौरान कानपुर के अलावा आसपास के जनपदों में कोबरा और करैत सांप का खासा दबदबा रहा। दोनों सांपों ने 418 लोगों को डंसा। विशेषज्ञों का कहना है कि कानपुर नगर आसपास के जिलों में यही दोनों सांप अधिक सक्रिय होते हैं। जुलाई-अगस्त के महीने में स्नैक बाइट के रोगियों की संख्या सबसे अधिक हो जाती है।

हैलट अस्पताल के आंकड़ों के मुताबिक जुलाई के महीने में 59 रोगी सांप काटने के आए हैं। अगस्त के महीने में औसत चार रोगी स्नैक बाइट के आ रहे हैं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सीनियर फिजीशियन डॉ. जेएस कुशवाहा ने बताया कि 60 फीसदी रोगी कोबरा और 40 फीसदी करैत के काटने के होते हैं। साल में एक-दो मामले रसल वाइपर के आ जाते हैं। करैत का शिकार रोगियों की हालत अधिक गंभीर हो जाती है। करैत सांप के डंसने के बाद अगर मरीज को समय से इलाज न मिले तो उसकी जान जा सकती है। फिलहाल हैलट के अलावा दूसरे सरकारी अस्पतालों में करैत सांप के डंसे मरीजों के इलाज की व्यवस्था है।

विशेषज्ञों ने बताया कि कोबरा और करैत दोनों का जहर न्यूरो टॉक्सिक होता है लेकिन तेज असर करैत का करता है। हैलट के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि जुलाई, अगस्त, सितंबर में सांप काटने के सबसे अधिक मामले आते हैं। अप्रैल वर्ष 2024 से जुलाई वर्ष 2025 तक 418 केस आए हैं। डॉक्टर बताते हैं कि अगर किसी व्यक्ति को करैत काट ले तो वह तत्काल अस्पताल पहुंचे। डॉक्टर को दिखाए और इलाज करवाए। डॉक्टर ने कहा कि कुछ लोग तंत्र-मंत्र के चलते समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते। इसी के कारण उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ती है।

हम हम आपको बताते हैं कोबरा के डंसने के बाद शरीर में कैसे रियेक्शन आते हैं। कोबरा के इसके काटने पर जख्म में तेज जलन और दर्द होता है। इसका जहर न्यूरो टॉक्सिक होता है। यह सांप ज्यादातर दिन में काटता है जहर के असर से मांसपेशियों के जंक्शन ब्लॉक होने लगते हैं। रोगी की पलकें गिरने लगती हैं, हाथ-पैर सुन्न, सांस में तकलीफ होती है। वहीं करैत के काटने पर दर्द नहीं होता। यह सांप रात में काटता है। सोते व्यक्ति के शरीर की गर्मी से आकर्षित होता है। जहर न्यूरो टॉक्सिक है लेकिन कोबरा से तेज असर करता है। इसे साइलेंट किलर कहते हैं, इसके काटने से मौत सबसे अधिक होती हैं।

दरअसल, बिल में पानी भरने से सांप सूखे स्थान की तलाश में घरों में घुसने का प्रयास करते हैं। इसके लिए उनके पास बाथरुम का पानी बाहर निकालने वाले आउटलेट पाइप का रास्ता सुलभ रहता है। पाइप पर बारिक जाली लगा सकते हैं। सांप के घर में आने की संभावना 70 प्रतिशत खत्म हो जाएगी। बड़े मकानों में गार्डन, लॉन,स्टोर आदि रहता है। इनमें अनुपयोगी सामग्रियों का जमावड़ा न होने दे। सफाई रखें। इससे सांपों को रहने-छिपने की जगह नहीं मिलेगी। भोजन के लिए सांप-चूहों की तलाश में घर में आ जाते हैं। घर में चूहे न हों, ऐसी व्यवस्था करें। यदि घर में बेल लगी हैं जो पहली दूसरी मंजिल तक जाती हैं तो इससे बचें। सांप इनके सहारे ऊपर चढ़ सकते हैं।

 

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