Health news : छोटे बच्चे अक्सर पंजों पर चलते हैं, जो उनके चलना सीखने की प्रक्रिया का हिस्सा हो सकता है। हालांकि, अगर यह आदत तीन साल की उम्र के बाद भी बनी रहती है, तो यह चिंता का विषय हो सकता है। यह आदत किसी न्यूरोलॉजिकल विकार का संकेत हो सकती है, जिसे समय पर पहचानना और इलाज करना जरूरी है।
टो वॉकिंग क्या है?
टो वॉकिंग का मतलब है कि बच्चा अपने पूरे पैर की बजाय केवल पंजों पर चलता है। यह आदत शुरुआती दौर में सामान्य हो सकती है, लेकिन समय के साथ यह आदत बनी रहे, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
पंजों पर चलने के संभावित कारण
विकास प्रक्रिया का हिस्सा
कई बच्चे चलना सीखते समय पंजों पर चलते हैं, जो धीरे-धीरे खत्म हो जाता है।
आदत
कुछ बच्चों में यह एक सामान्य आदत बन जाती है, जिसमें कोई मेडिकल कारण नहीं होता।
न्यूरोलॉजिकल समस्याएं
पंजों पर चलने की आदत कभी-कभी निम्नलिखित समस्याओं से जुड़ी हो सकती है
सेरेब्रल पाल्सी (Cerebral Palsy)
यह मांसपेशियों के नियंत्रण को प्रभावित करने वाला विकार है।
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (Muscular Dystrophy)
इसमें मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, जिससे पंजों पर चलने की आदत बन सकती है।
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD)
ऑटिज्म प्रभावित बच्चे अक्सर इस तरह चलते हैं।
पेरिफेरल न्यूरोपैथी
नर्वस सिस्टम की समस्याएं चलने की प्रक्रिया पर असर डाल सकती हैं।
कब करें डॉक्टर से संपर्क?
बच्चा तीन साल की उम्र के बाद भी पंजों पर ही चलता हो।
उसे चलते समय संतुलन बनाने में कठिनाई हो।
मानसिक या शारीरिक विकास में देरी दिख रही हो।
पंजों पर चलने का इलाज
फिजिकल थेरेपी
मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए एक्सरसाइज।
ऑर्थोटिक उपकरण स्पेशल जूते या ब्रेसेस का इस्तेमाल।
दवाएं और सर्जरी
गंभीर मामलों में डॉक्टर दवा या सर्जरी की सलाह दे सकते हैं।
सही समय पर इलाज क्यों है जरूरी?
समय पर इलाज न होने पर यह आदत बच्चे की चाल और शारीरिक विकास को प्रभावित कर सकती है। जल्दी निदान और उचित उपचार बच्चे की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करता है और उसकी आदत में सुधार लाता है।
पंजों पर चलना हमेशा गंभीर समस्या नहीं होती, लेकिन इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यदि समस्या लंबे समय तक बनी रहती है, तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लें