उत्तराखंड में हरिद्वार के जिला अस्पताल की हालत इन दिनों बेहद खराब है। अस्पताल में मरीजों की सूद लेने के लिए कोई भी मौजूद नहीं है। घंटों इतंजार के बाद भी इलाज नहीं हो पा रहा है। जिससे मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मरीज अस्पताल के बाहर रहने के लिए मजबूर है।
मरीज की मृत्यु हो तो ज़िम्मेदार कौन ?
डॉक्टर भी मौजूद नहीं है जिससे इलाज भगवान भरोसे हो रहा है। इसी बीच एक पिता ने बताया कि “हमें एक काउंटर से दूसरे काउंटर पर भेजा जा रहा है। हमें बोला गया कि डॉक्टर अपने मन से आएंगे। अगर ऐसे में किसी मरीज की मृत्यु हो जाए तो ज़िम्मेदार कौन होगा?”
हरिद्वार में सालों से डॉक्टरों की कमी झेल रहा है। वहीं जिला अस्पताल में जिन डॉक्टरों की तैनाती है वो भी अपने रूम में उपस्थित नहीं है। जब एक पिता अपनी बच्ची का इलाज कराने के लिए जिला अस्पताल पहुँचा तो डॉक्टर उसको इधर से उधर घुमाने लगे इमरजेंसी वाले कहता है 9 नम्बर में जाओ। जब वहां जाते है तो वो बोलते है 8 नम्बर में जाओ। अब 9 नम्बर में पर्चा जमा है पर डॉक्टर ना होने के कारण परेशानी हो रही है।
इलाज मांगेगा उसको ही इलाज देंगे
जमीन पर पड़े मरीजों के बारे में जब CMS से पूछा गया तो हंसते हुए जवाब देते है की अब गेट पर कोई मरीज पड़ा है तो हम क्या कहे अब उसको पकड़ पकड़ कर उसका इलाज तो नहीं करेंगे। जो इलाज मांगेगा उसको ही इलाज देंगे ना। हम इमरजेंसी को सूचित कर देते हैं कि मरिजों को देख लें। अगर मरीज गेट पर आ सकता है तो इमरजेंसी में भी आ सकता है।
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