Intermittent fasting: 14 फरवरी को एक नई स्टडी सामने आई, जिसमें बताया गया है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग, जो वजन घटाने और सेहत सुधारने के लिए लोकप्रिय है, किशोरों के लिए सुरक्षित नहीं हो सकती। जर्मनी के टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिख (टीयूएम) और एलएमयू हॉस्पिटल के वैज्ञानिकों ने इस पर रिसर्च की और कहा कि किशोरों के शरीर पर इसके असर अलग अलग हो सकते हैं। इंटरमिटेंट फास्टिंग का मतलब है कि आप हर दिन सिर्फ 6 से 8 घंटे के दौरान ही खाना खाते हैं और बाकी समय उपवास करते हैं।
डाइट का दावा, स्टडी के नतीजे चिंताजनक
इस प्रकार की डाइट का दावा है कि यह डायबिटीज और हृदय रोगों से बचाव में मददगार होती है, साथ ही वजन कम करने में भी सहायक साबित होती है। लेकिन इस शोध में जो नतीजे सामने आए हैं, वे किशोरों के लिए चिंता का कारण बन सकते हैं। जर्नल सेल रिपोर्ट्स में प्रकाशित इस शोध के मुताबिक, लंबे समय तक इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से कम उम्र के चूहों में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं का विकास रुक गया। इंसुलिन की कमी डायबिटीज और मेटाबॉलिक समस्याओं को बढ़ा सकती है।
बड़ों के लिए फायदेमंद किशोरो पर उलटा असर
शोधकर्ता प्रोफेसर स्टीफन हर्जिग ने इस स्टडी के बारे में बताया कि इंटरमिटेंट फास्टिंग वयस्कों के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन बच्चों और किशोरों के लिए इससे जोखिम हो सकते हैं। एक और शोधकर्ता, लियोनार्डो मट्टा ने कहा कि यह आमतौर पर माना जाता है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग बीटा सेल्स के लिए फायदेमंद होती है, लेकिन इस स्टडी ने यह साबित कर दिया कि कम उम्र के चूहों में इसका असर उल्टा हो सकता है।
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यह शोध इंसानों के लिए भी चिंता का विषय है, क्योंकि इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं का विकास टाइप 1 डायबिटीज वाले मरीजों में भी प्रभावित हो सकता है। इस स्टडी ने यह साफ कर दिया कि किशोरों के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग खतरनाक हो सकती है, खासकर अगर इसे लंबे समय तक अपनाया जाए।