Health Care: मां बनना हर महिला के लिए जिंदगी का सबसे अनमोल एहसास होता है। लेकिन, इस दौरान और बच्चे के जन्म के बाद महिलाएं जिन परेशानियों से गुजरती हैं, उन पर बहुत कम बात होती है। मां बनने के दौरान महिला के शरीर में कई हार्मोनल बदलाव होते हैं, जो उसकी शारीरिक और मानसिक सेहत को प्रभावित करते हैं। अक्सर, इन्हें मामूली समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता है।
बच्चे के जन्म के बाद की मानसिक और शारीरिक समस्याएं
बच्चे के जन्म के बाद कई महिलाओं को मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, कुछ महिलाएं हाई बीपी, डायबिटीज, थायरॉइड जैसी बीमारियों से भी गुजरती हैं। अगर इस दौरान उनकी ठीक से देखभाल नहीं होती, तो वे डिप्रेशन का शिकार हो सकती हैं। भारत में करीब 22% नई माताएं बच्चे के जन्म के बाद प्रसवोत्तर अवसाद (पीपीडी) से प्रभावित होती हैं। इसका मुख्य कारण हार्मोनल बदलाव होता है, जिसकी वजह से महिलाएं दुखी या चिंतित महसूस करती हैं।
मां और बच्चे दोनों के लिए देखभाल जरूरी
मां की देखभाल सिर्फ गर्भावस्था के दौरान ही नहीं, बल्कि बच्चे के जन्म के बाद भी बहुत जरूरी है। मां और बच्चे दोनों की भलाई के लिए डॉक्टर से नियमित जांच करानी चाहिए। इस दौरान नशीली चीजों, शराब और निकोटीन से दूर रहना चाहिए। बच्चे की सेहत के साथ-साथ मां की डाइट, आराम और भावनात्मक सेहत पर भी ध्यान देना जरूरी है।
प्रसव के बाद की देखभाल
बच्चे के जन्म के बाद सिर्फ बच्चे पर ही नहीं, मां पर भी उतना ही ध्यान दिया जाना चाहिए। मां को हेल्दी डाइट, पर्याप्त आराम और हल्का व्यायाम करना चाहिए। परिवार या प्रियजन को भी उसकी मदद करनी चाहिए। डॉक्टर की सलाह पर कुछ हल्के एक्सरसाइज और काउंसलिंग से महिला को मानसिक तौर पर मजबूत बनाया जा सकता है।
आफ्टर डिलीवरी डिप्रेशन
महिलाओं में प्रसवोत्तर अवसाद (पीपीडी) के लक्षण दिखें तो इसे नजरअंदाज न करें। इसे प्रेम, देखभाल, काउंसलिंग और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह से दवाओं की मदद से ठीक किया जा सकता है। नई माताओं को इस दौरान विशेष सहयोग की जरूरत होती है, ताकि वे मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकें।
मां और बच्चे दोनों की सेहत पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। मां की देखभाल को हल्के में नहीं लेना चाहिए। उसकी अच्छी सेहत ही बच्चे की बेहतर परवरिश का आधार है। परिवार और डॉक्टर का सहयोग मां के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है।