Sepsis treatment awareness: सेप्सिस एक ऐसी बीमारी है जो छोटे से इन्फेक्शन से शुरू होकर जानलेवा रूप ले सकती है। जब शरीर में संक्रमण होता है तो हमारी इम्यून सिस्टम उसे रोकने की कोशिश करती है। लेकिन कभी-कभी शरीर की प्रतिक्रिया जरूरत से ज्यादा हो जाती है और खुद के अंगों को नुकसान पहुंचाने लगती है। यही स्थिति सेप्सिस कहलाती है। अगर समय पर इलाज न मिले तो यह किडनी, लिवर, दिल जैसे जरूरी अंगों को खराब कर सकती है और जान भी जा सकती है।
सेप्सिस के लक्षण
सेप्सिस की पहचान करना आसान नहीं होता क्योंकि इसके लक्षण सामान्य बीमारियों जैसे होते हैं। फिर भी ये मुख्य लक्षण हैं:
तेज बुखार या बहुत ठंड लगना
दिल की धड़कन का तेजी से बढ़ना
सांस लेने में कठिनाई या सांस फूलना
मानसिक स्थिति बदलना जैसे उलझन, बेहोशी
ब्लड प्रेशर कम होना
त्वचा का रंग बदलना, पीली या नीली दिखाई देना
मूत्र कम बनना, पेट में दर्द, पीलिया जैसी समस्याएं
अगर बीमारी बढ़ जाए तो यह सेप्टिक शॉक में बदल सकती है जिसमें अंग काम करना बंद कर सकते हैं और स्थिति बेहद गंभीर हो जाती है।
सेप्सिस की पहचान कैसे करें
डॉक्टर सबसे पहले मरीज का मेडिकल इतिहास पूछते हैं और शरीर की जांच करते हैं। इसके बाद संक्रमण की पहचान के लिए खून की जांच की जाती है। यह जांच बताती है कि शरीर में कितनी सूजन है और संक्रमण किस बैक्टीरिया या वायरस से हुआ है। कई बार एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड या स्कैन की मदद से संक्रमण के स्थान का पता लगाया जाता है।
कौन-कौन ज्यादा खतरे में
बुजुर्ग, नवजात शिशु और पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे लोग ज्यादा जोखिम में होते हैं। इनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, जिससे संक्रमण तेजी से फैल सकता है। भारत में हर साल लगभग 1 करोड़ 10 लाख लोग सेप्सिस से प्रभावित होते हैं और करीब 30 लाख लोगों की मौत हो जाती है।
सेप्सिस से बचाव के उपाय
समय पर पहचान और इलाज करें।
संक्रमण के स्रोत को तुरंत नियंत्रित करें।
डॉक्टर की सलाह से दवाइयों का सही उपयोग करें।
शरीर में ब्लड प्रेशर बनाए रखें।
पुरानी बीमारी वाले लोग सावधानी रखें।
लोहिया संस्थान के विशेषज्ञों के अनुसार, सेप्सिस की जानकारी और समय पर उपचार से इसकी गंभीरता को रोका जा सकता है। खासतौर पर डायबिटीज और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों वाले लोग ज्यादा सतर्क रहें।
डिस्क्लेमर:यह जानकारी news1india द्वारा केवल जागरूकता बढ़ाने के लिए साझा की गई है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या में डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। स्वयं इलाज न करें।