भागलपुर। दिवाली का जश्न महीने पहले से होना शुरू होता है वही दूसरी और दिवाली की ख़ुशी दिवाली के महीने बाद तक खत्म नहीं होती। लेकिन कभी आपने सोचा है दिवाली जहाँ खुशिया लेकर आता हैं व्ही दूसरी और दिवाली दुःख का भी कारण बन रहा हैं , अब आप सोच रहे होंगे दुःख, भई कैसा दुःख तो जरा गौर से पढियेगा।
सैकड़ों मवेशियों की मौत खुद ब खुद हो जाती है
भागलपुर जिले में कोइली खुटहा गांव है। इस गांव में ऐसा भी होता है कि दिवाली के बाद सैकड़ों मवेशियों की मौत खुद ब खुद हो जाती है। जी बिलकुल सही सुना आपने बिना किसी कारण पशु की मृत्यु हो जाती है। इस वजह से गांव के पशुपालकों को लाखों का नुकसान तक सहना पड़ता है। यहां हर साल दिवाली के बाद अचानक से पशु की मृत्यु तेजी से होने लगती है। ये सब इस गांव में तकरीबन 12 सालो से लगातार होता जा रहा है। पर आश्चर्य की बात ये है कि इसकी सूचना अब तक प्रशासन को नहीं है। जब पशुपालक पशुओं की चिकित्सा के लिए डॉक्टर को बुलाते हैं तो डॉक्टर भी कुछ समझ नहीं पाते और कुछ साफ-साफ नहीं कह पाते।
पशु को सर्रा बीमारी पकड़ लेती है
गांव वालो की बात करें तो गांव वालों का कहना है कि पशु को सर्रा बीमारी पकड़ लेती है। जिससे उसकी तुरंत ही मौत हो जाती है। हाल ही के दिनों की बात करें तो दीपावली पर्व समाप्त हुए कुछ ही दिन हुए थे और गांव में एक के बाद एक यानि काफी संख्या में पशु मर गए। अभी तक में इस साल आंकड़े के हिसाब से 200 से ज्यादा पशु की मृत्यु हो चुकी है। ऐसा देखा जाता है कि जब मौसम बदलने लगता है तो यह सर्रा रोग तेजी से पशुओं में पनपने लगता है।
यह सबसे अधिक भैंसों में होता है
दर्जनों गांव में पालतू पशुओं को सर्रा रोग अपनी चपेट में ले लेता है। इससे पशु पालक परेशान हो जाते हैं। वैसे तो सर्रा रोग सभी सीजन में होता है और यह सबसे अधिक भैंसों में होता है लेकिन बदलते मौसम में सर्रा रोग तेजी से फैल रहा है। इससे पशुपालकों को सजग सचेत और सतर्क होना चाहिए और इसकी जानकारी प्रशासन को भी देनी चाहिए। जिससे प्रशासन इसे समझ ले और इस पर ठोस कदम उठाकर उचित व्यवस्था करें।
डास और टेवेनस मक्खी के काटने से होता है।
पशु चिकित्सक ने बताया कि सर्रा रोग पशुओं में डास और टेवेनस मक्खी के काटने से होता है। यह मक्खी एक रक्त परजीवी मक्खी है। यह एक पशु से दूसरे पशुओं में रोग को फैलाता है। उन्होंने बताया कि यह रोग पालतू पशुओं में ज्यादा पाया जाता है। जैसे गाय, भैंस, घोड़ा, भेड़, बकरी, कुत्ता, ऊंट और हाथी में इसका लक्षण देखा जाता है। यह रोग सबसे अधिक भैंस को प्रभावित करता है। अनुमान लगाया जा रहा है कि कोईली खुटहा गांव में डास और टेवेनस मक्खी का प्रकोप बहुत है। जिसकी वजह से पूरे गांव के पशु एक के बाद एक मर जाते हैं। जिस वजह से पशु पालकों को लाखों लाखों रुपए का नुकसान सहना पड़ता है।