फर्रुखाबाद। फाइलेरिया रोग में अक्सर हाथ या पैर में बहुत ही ज़्यादा सूजन हो जाती है। इसलिए इस रोग को हाथी पांव भी कहते हैं। जिन व्यक्तियों के अंदर माइक्रो फाइलेरिया के कीटाणु रहते हैं, उन्हें दवा सेवन करने पर कुछ प्रभाव जैसे- जी मचलाना, उल्टी आना, हल्का बुखार आना, चक्कर आना आदि हो सकता है। इससे घबराना नहीं चाहिए। यह कहना है जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) डॉ राजेश माथुर का है।
डीएमओ ने बताया कि प्रत्येक वर्ष 11 नवम्बर को राष्ट्रीय फाइलेरिया दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को फाइलेरिया रोग के बारे जागरुक करना है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया के लक्षण प्रतीत होने पर जल्द से जल्द पास के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर सम्पर्क करें और इसके इलाज में लापरवाही न बरतें। इसके साथ ही जब भी फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत सामूहिक दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम चलें, उस दौरान मिलने वाली फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन जरूर करें।
डॉ. माथुर ने बताया कि अभी जिले में 1013 लोग फाइलेरिया के चपेट में हैं। हाइड्रोसील भी फाइलेरिया का एक प्रकार है। इसका ऑपरेशन हर गुरुवार को डॉ राम मनोहर लोहिया चिकित्सालय में मुफ्त करा सकते हैं। उन्होंने बताया कि जिले में फाइलेरिया रोगियों की खोज के लिए माह के हर बुधवार को जिला मलेरिया विभाग में नाइट क्लीनिक चलती है। इसमें फाइलेरिया रोगियों की पहचान के लिए रात में 8 बजे से 10 बजे तक नाइट ब्लड सर्वेक्षण होता है। महीने में दो बार जहां पर फाइलेरिया रोगी हैं या कोई संभावित गांव है तो वहां शिविर लगाकर रात्रि में रक्त का सैंपल लिया जाता है।
उन्होंने बताया कि फाइलेरिया के रोगियों को रात में इसलिये चिन्हित किया जाता है, क्योंकि रात में ही इसके परजीवी यानि माइक्रो फाइलेरिया खून में अधिक सक्रिय होते हैं। इसलिये रात में खून के नमूने की जांच कर संक्रमण की स्थिति का पता लगाया जा सकता है। राष्ट्रीय फाइलेरिया दिवस के अवसर पर सीएचसी कमालगंज में फाइलेरिया रोगियों को किट वितरित की जाएगी।
फाइलेरिया निरीक्षक दीपांशु यादव ने बताया कि मोहम्दाबाद ब्लॉक में 270, राजेपुर में 107, कायमगंज में 186, नवाबगंज में 124, शमसाबाद में 90, बरौन में 122, कमालगंज में 102 और शहरी क्षेत्र में 12 फाइलेरिया रोगी हैं।
फाइलेरिया के लक्षण
- एक या दोनों हाथ व पैरों में (ज़्यादातर पैरों में) सूजन
- कॅपकॅपी के साथ बुखार आना
- पुरूषों के अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसिल) होना
- पैरों व हाथों की लसिका वाहिकाएं लाल हो जाती हैं|
ऐसे करें बचाव
फाइलेरिया से बचाव के लिए मच्छरों से बचना जरूरी है और मच्छरों से बचाव के लिए घर के आस-पास पानी, कूड़ा और गंदगी जमा न होने दें। घर में भी कूलर, गमलों अथवा अन्य चीजों में पानी न जमा होने दें। सोते समय पूरी बांह के कपड़े पहने और मच्छरदानी का प्रयोग करें। यदि किसी को फाइलेरिया के लक्षण नजर आते हैं तो वे घबराएं नहीं। स्वास्थ्य विभाग के पास इसका पूरा उपचार उपलब्ध है। विभाग स्तर पर मरीज का पूरा उपचार निशुल्क होता है। इसलिए सीधे सरकारी अस्पताल जाएं।