Health news-रोटी हर घर में रोज़ाना बनने वाला खाना है। कोई गेहूं के आटे की रोटी खाता है तो कोई मल्टीग्रेन आटे की। रोटी में फाइबर और कई पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर के लिए ज़रूरी होते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पतली रोटी खाना बेहतर है या मोटी रोटी?
दरअसल, हर किसी का रोटी बनाने और खाने का तरीका अलग होता है। कुछ लोग पतली रोटी पसंद करते हैं तो कुछ मोटी। पतली रोटी सॉफ्ट होती है और जल्दी चबाई जा सकती है। वहीं मोटी रोटी ठंडी होने पर थोड़ी हार्ड हो जाती है और चबाने में मुश्किल हो सकती है।
क्या कहती है हेल्थ?
हेल्थ के नजरिए से देखें तो मोटी और पतली दोनों रोटियां अच्छी हो सकती हैं। फर्क इस बात से पड़ता है कि रोटी किस आटे से बनी है और कैसे पकाई गई है।
पतली रोटी जल्दी और बिना ज्यादा तेल-घी के पक जाती है। इससे उसमें मौजूद फाइबर और अन्य पोषक तत्व सुरक्षित रहते हैं। वहीं मोटी रोटी को पकाने में समय लगता है और अक्सर इसमें घी या तेल भी लगाया जाता है, जिससे उसकी कैलोरी बढ़ जाती है और पोषक तत्व कम हो सकते हैं।
अगर आप चोकर युक्त गेहूं या मल्टीग्रेन आटे से बनी पतली रोटी मीडियम आंच पर सेंकते हैं तो वो ज्यादा हेल्दी होती है। ऐसे में रोटी सॉफ्ट भी रहती है और आसानी से पच भी जाती है।
अगर रोटी अनरिफाइंड गेहूं या दूसरे अनाजों से बनी हो तो चाहे वो मोटी हो या पतली, शरीर को फायदा ही पहुंचाती है। लेकिन अगर हेल्दी ऑप्शन चुनना है तो पतली, बिना तेल-घी वाली रोटी बेहतर मानी जाती है।
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