वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर पूरे देश में इसे लेकर उत्सव मनाने की तैयारियां जोरों पर हैं। यह गीत भारत की स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है और देशवासियों के दिलों में देशभक्ति की भावना को जगाने वाला एक प्रतिष्ठित प्रतीक है। विभिन्न राज्यों में सांस्कृतिक कार्यक्रम और समारोह आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें स्कूल, कॉलेज, सरकारी और गैर-सरकारी संस्थान भाग ले रहे हैं।
लेकिन इस उत्साह के बीच जम्मू-कश्मीर से एक अलग ही तस्वीर सामने आई है। वहां के मुल्की मुस्लिम अधिवक्ता (MMU) संगठन ने वंदे मातरम् के प्रति विरोध प्रदर्शन किए हैं। उनकी यह आपत्ति है कि यह गीत कुछ समुदायों के लिए विवादास्पद बना हुआ है, और वे इसके जबर्दस्त विरोध में हैं। इस विरोध को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हवा गरमाई हुई है।
वहीं, बीजेपी के नेताओं ने इस विरोध को अनुचित और गलत ठहराया है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने स्पष्ट किया है कि वंदे मातरम् भारत की एकता का प्रतीक है और इसकी गरिमा सबको सम्मानित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् को लेकर असहमति को सांप्रदायिक रंग देना सही नहीं है।
देश के अन्य हिस्सों में वंदे मातरम् के 150वें वर्ष पर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। लोग इसे देश के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण का प्रतीक मानते हुए गर्व के साथ मनाना चाहते हैं। स्कूलों में बच्चों को वंदे मातरम् के महत्व के बारे में जागरूक किया जा रहा है ताकि आने वाली पीढ़ी भी इसके गूढ़ संदेश को समझ सके।
इस विवाद के बावजूद, केंद्र और राज्य सरकारें इस मौके को देशभक्ति के सशक्त संदेश के रूप में मानकर कार्यक्रमों को बढ़ावा दे रही हैं। सामाजिक सद्भाव और एकता बनाए रखने के लिए सभी से शांति और समन्वय की अपील की जा रही है।



