Inspiring Life Story : हर लड़की के लिए बनी प्रेरणा,ऑपरेशन सिंदूर की हीरो कर्नल सोफिया की दिलचस्प कहानी

कर्नल सोफिया कुरैशी ने न सिर्फ सेना में बड़ी जिम्मेदारियां निभाईं, बल्कि अपने पूरे परिवार को देशसेवा के लिए प्रेरित किया। उनकी कहानी हर लड़की के लिए प्रेरणा बन चुकी है।

The Inspiring Life Story of Colonel Sophia Qureshi: कर्नल सोफिया कुरैशी आज भारत की हर उस लड़की की प्रेरणा बन चुकी हैं, जो बड़े सपने देखती है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को सफल बनाकर यह साबित कर दिया कि महिलाएं सिर्फ घर ही नहीं, देश की सरहद भी संभाल सकती हैं। सोफिया जितनी मजबूत और होशियार एक ऑफिसर हैं, उतनी ही खास उनकी पर्सनल लाइफ भी है।

सेना से जुड़ा पूरा परिवार

सोफिया का परिवार कई पीढ़ियों से भारतीय सेना से जुड़ा रहा है। उनके दादा, पिता, चाचा से लेकर उनके बच्चे तक देश की सेवा में लगे हैं या आगे चलकर सेना में जाना चाहते हैं। यह परिवार सच में देशभक्ति की मिसाल है।

पति भी सेना में हैं अधिकारी

कर्नल सोफिया के पति ताजुद्दीन बागेवाड़ी भारतीय सेना की मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री में कर्नल हैं। यह एक ऐसी स्पेशल यूनिट है जो गाड़ियों और हथियारों की मदद से तेज़ और ताकतवर हमला करती है। दोनों की लव मैरिज साल 2005 में हुई थी। आज दोनों अलग-अलग शहरों में अपने-अपने मोर्चे पर तैनात हैं। सोफिया जम्मू में और ताजुद्दीन झांसी में।

बच्चों को भी है देशसेवा का जुनून

सोफिया के दो बच्चे हैं,। बेटा समीर कुरैशी और बेटी हनीमा। समीर 18 साल का है और एयरफोर्स की तैयारी कर रहा है। वहीं हनीमा भी भविष्य में सेना में शामिल होना चाहती है। अपने माता-पिता को देखकर दोनों बच्चे भी देश की सेवा के लिए प्रेरित हैं।

पिता और चाचा भी रहे हैं सेना में

सोफिया के पिता ताज मोहम्मद कुरैशी, BSF में सूबेदार रहे हैं और 1971 के भारत-पाक युद्ध में भी हिस्सा ले चुके हैं। उनके दो चाचा इस्माइल कुरैशी और वली मोहम्मद भी BSF में सूबेदार के पद पर रहे हैं। यानी ये परिवार पीढ़ियों से देश की रक्षा में लगा रहा है।

परदादी बनीं थीं स्वतंत्रता सेनानी

एक इंटरव्यू में सोफिया ने बताया था कि उनकी परदादी 1857 की क्रांति में रानी लक्ष्मीबाई के साथ लड़ी थीं। उनकी दादी भी एक योद्धा थीं। उनके दादाजी धार्मिक शिक्षक के रूप में भारतीय सेना में सेवाएं दे चुके हैं। यानी बहादुरी उनके खून में है।

पढ़ाई में भी रहीं अव्वल

सोफिया ने 1997 में वडोदरा की एम.एस. यूनिवर्सिटी से बायोकैमिस्ट्री में मास्टर्स किया था। वे पीएचडी की पढ़ाई भी कर रही थीं, लेकिन उन्होंने 1999 में देशसेवा के लिए पीएचडी छोड़कर सेना जॉइन कर ली।

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