AI cancer diagnosis and vaccine : Oracle के सीईओ Larry Ellison ने हाल ही में कहा है कि भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से कैंसर का पता सिर्फ 48 घंटों में लगाया जा सकेगा। साथ ही, हर मरीज के लिए खास कस्टम कैंसर वैक्सीन भी बनाई जा सकेगी। यह दावा कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से निपटने में एक नई उम्मीद जगाता है।
AI कैसे करेगा कैंसर की पहचान और इलाज
Larry Ellison ने बताया कि AI की मदद से कैंसर की पहचान बहुत तेजी और सटीकता से हो सकेगी। मरीज के कैंसर के प्रकार और उसकी स्थिति का अध्ययन करके, AI उस मरीज के लिए खास वैक्सीन तैयार करेगा। यह वैक्सीन मरीज के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाएगी ताकि वह कैंसर से लड़ सके।
बदलेगी इलाज की प्रक्रिया
Ellison का कहना है कि यह तकनीक कैंसर के इलाज में क्रांति ला सकती है। हर मरीज को उसकी जरूरत के मुताबिक वैक्सीन मिलेगी, जिससे इलाज ज्यादा असरदार होगा। हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि इसे पूरी तरह से विकसित करने में कुछ साल लग सकते हैं।
2025 से शुरू हो गई कैंसर वैक्सीनेशन
रूस ने घोषणा की है कि वह 2025 में कैंसर की वैक्सीनेशन प्रक्रिया शुरू करेगा। इस वैक्सीनेशन को राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जाएगा। अगर यह सफल रहा, तो रूस पहला देश होगा जो अपने नागरिकों को मुफ्त में कैंसर वैक्सीन देगा।
अमेरिका में भी हो रहे हैं प्रयास
अमेरिका के फ्लोरिडा विश्वविद्यालय ने 2024 में 4 मरीजों पर पर्सनलाइज्ड कैंसर वैक्सीन का परीक्षण किया। नतीजे सकारात्मक रहे। वैक्सीनेशन के सिर्फ दो दिन बाद मरीजों के इम्यून सिस्टम में सुधार देखा गया। अमेरिका इस दिशा में तेजी से शोध कर रहा है ताकि एक प्रभावी और सस्ती वैक्सीन तैयार की जा सके।
कैंसर से जुड़ी गंभीर सच्चाई
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, हर साल लाखों लोग कैंसर से जान गंवाते हैं। दुनिया में हर 6 में से 1 व्यक्ति की मौत कैंसर से होती है। भारत में भी हालात चिंताजनक हैं। 2023 में करीब 15 लाख नए कैंसर मरीज दर्ज हुए, जबकि 8.28 लाख मौतें हुईं।
AI और बायोटेक्नोलॉजी से नई उम्मीदें
Larry Ellison का दावा अगर सच साबित होता है, तो यह कैंसर के इलाज में बड़ा बदलाव ला सकता है। AI और बायोटेक्नोलॉजी मिलकर कैंसर के निदान और इलाज को आसान और सटीक बना सकते हैं। हालांकि, यह प्रक्रिया अभी शुरुआती दौर में है और इसे हकीकत बनने में समय लगेगा।
AI की मदद से कैंसर का जल्दी पता लगना और मरीज के लिए खास वैक्सीन बनना चिकित्सा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम हो सकता है। अगर यह तकनीक सफल होती है, तो लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है, खासकर उन देशों में जहां चिकित्सा सुविधाएं सीमित हैं।