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Balochistan conflict: पाकिस्तान के कंट्रोल से बाहर, चीन और अफगान ‘हाथ’ ने बढ़ाई मुश्किलें

बलूचिस्तान में पाकिस्तानी नियंत्रण कमजोर पड़ता जा रहा है। चीन की CPEC परियोजना और अफगानिस्तान से मिलने वाले विद्रोही समर्थन ने इस संकट को और गहरा दिया है। बलूच-पश्तून गठजोड़ ने पाकिस्तान के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है।

by Mayank Yadav
March 13, 2025
in Latest News, विदेश
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Bolan Massacre
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Balochistan conflict: बलूचिस्तान की लड़ाई अब पाकिस्तान के नियंत्रण में नहीं रही। इस क्षेत्र में चीन, अफगानिस्तान और स्थानीय बलोच-पश्तून विद्रोहियों के हित आपस में उलझे हुए हैं। पाकिस्तान लॉ एंड ऑर्डर और क्षेत्रीय तनाव के नाम पर इस मुद्दे को हल नहीं कर सकता। दशकों से चली आ रही हिंसा और संघर्ष ने इस समस्या को और गहरा बना दिया है। हालात तब और बिगड़े जब चीन ने CPEC के नाम पर यहां निवेश किया और अफगानिस्तान में बैठे आतंकी सरगनाओं ने बलूचिस्तान में दखल बढ़ा दी।

चीन का ‘निवेश’ और बलूचिस्तान का संघर्ष

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो शिनजियांग को ग्वादर बंदरगाह Balochistan से जोड़ता है। इसे आर्थिक प्रोजेक्ट कहा गया, लेकिन असल में इसका सामरिक और रणनीतिक महत्व अधिक है। पाकिस्तान के लिए 60 अरब डॉलर का यह सौदा उसकी चरमराती अर्थव्यवस्था के लिए राहत साबित हुआ, लेकिन बलूचिस्तान के लोगों के लिए यह एक नई मुसीबत बनकर आया।

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बलूच विद्रोही गुटों ने CPEC को “औपनिवेशिक शोषण” का प्रतीक मानते हुए इसका कड़ा विरोध किया। इनका कहना है कि परियोजना से बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हो रहा है, जबकि यहां के स्थानीय लोगों को बुनियादी सुविधाएं भी नसीब नहीं हैं। ग्वादर में चीनी निवेश ने न केवल बलूच जनता की नाराजगी बढ़ाई, बल्कि कई आत्मघाती हमलों को भी जन्म दिया।

विद्रोहियों का तीखा विरोध और चीनी प्रतिष्ठानों पर हमले

CPEC के खिलाफ बलूचिस्तान में कई हमले हुए, जिनमें चीनी इंजीनियरों और प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया।

  • 2018: कराची में चीनी वाणिज्य दूतावास पर हमला।
  • 2019: ग्वादर के पर्ल कॉन्टिनेंटल होटल पर अटैक।
  • 2022: कराची विश्वविद्यालय में कन्फ्यूशियस इंस्टीट्यूट पर आत्मघाती हमला।
  • 2023: ग्वादर में चीनी इंजीनियरों पर हमला।
  • 2024: दासू में चीनी इंजीनियरों के काफिले पर फिदायीन अटैक।

Balochistan लिबरेशन आर्मी (BLA) ने हाल ही में जाफर एक्सप्रेस को हाईजैक कर चीन को खुली धमकी दी। BLA कमांडर ने अपने वीडियो संदेश में कहा कि चीन को बलूचिस्तान से तुरंत निकल जाना चाहिए। उसने चेतावनी दी कि “मजीद ब्रिगेड” के लड़ाके अपनी जान की परवाह किए बिना CPEC को नाकाम करने के लिए तैयार हैं।

अफगानिस्तान का ‘हाथ’ और पाकिस्तान की मुश्किलें

Balochistan और अफगानिस्तान के बीच 900 किलोमीटर लंबी डूरंड लाइन है, जो बलूच और पश्तून जनजातियों को जोड़ती है। पश्तून समुदायों का अफगानिस्तान से गहरा नाता है। ये जनजातियां पाकिस्तान के खिलाफ असंतोष रखती हैं और बलूच विद्रोहियों का समर्थन करती हैं।

पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि बलूच विद्रोही समूह, जैसे BLA और बलूच रिपब्लिकन आर्मी (BRA), अफगानिस्तान में अपने ठिकाने बनाते हैं और वहीं से हमलों की योजना बनाते हैं। जाफर एक्सप्रेस हाईजैक के बाद पाकिस्तान सेना ने कहा कि हमलावर सैटेलाइट फोन के जरिए अफगानिस्तान में बैठे अपने मास्टरमाइंड से संपर्क में थे।

पाक-चीन सहयोग और अंतर्राष्ट्रीय दबाव

चीन ने जाफर एक्सप्रेस पर हुए हमले की निंदा करते हुए पाकिस्तान के साथ आतंकवाद विरोधी सहयोग को मजबूत करने का ऐलान किया। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि चीन बलूचिस्तान में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए पाकिस्तान का समर्थन करता रहेगा।

पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने भी कड़ा रुख अपनाते हुए विद्रोहियों पर कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। लेकिन इस संघर्ष में एक नई चुनौती अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार है, जो इन विद्रोहियों को पनाह दे रही है।

बलूच-पश्तून गठजोड़: नई चुनौती

बलूच और पश्तून समुदायों के बीच बढ़ते गठजोड़ ने पाकिस्तान की चिंताएं और बढ़ा दी हैं। पश्तून तहरीक-ए-मुसल्लह (PTM) ने सैन्य दमन और जबरन गायब किए जाने के खिलाफ आवाज उठाई है। बलूच और पश्तून विद्रोहियों का एकजुट होना पाकिस्तान के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उठता मुद्दा

Balochistan का मुद्दा अब अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी गूंजने लगा है। 2016 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में बलूचिस्तान का उल्लेख किया था। इससे पाकिस्तान बौखला गया था और इस मुद्दे को दबाने के लिए हर संभव प्रयास करने लगा था।

अब पाकिस्तान के बस की बात नहीं

Balochistan की लड़ाई अब पाकिस्तान के कंट्रोल से बाहर हो चुकी है। चीन का भारी निवेश, अफगानिस्तान की दखलंदाजी और बलूच-पश्तून गठजोड़ ने इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय बना दिया है। पाकिस्तान को अगर इस समस्या का समाधान निकालना है तो उसे सिर्फ बलूच नेताओं से ही नहीं बल्कि चीन और अफगानिस्तान से भी बातचीत करनी होगी।

बलूचिस्तान की मौजूदा स्थिति बताती है कि यह समस्या सिर्फ पाकिस्तान के दायरे की बात नहीं रही, बल्कि दक्षिण-पश्चिम एशिया की बड़ी कूटनीतिक चुनौती बन चुकी है।

यहां पढ़ें: बलूचिस्तान में क्यों हुई ट्रेन हाईजैक ? सामने आई हैरान कर देन वाली वजह, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर…
Tags: Balochistan
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