British Royal Train retirement marks end of a historical transport legacy ब्रिटेन की रॉयल ट्रेन करीब डेढ़ सौ सालों से शाही परिवार की परंपरा और भव्यता का प्रतीक रही है। इसकी शुरुआत 1869 में महारानी विक्टोरिया के जमाने में हुई थी। तब से लेकर अब तक यह ट्रेन सिर्फ एक यात्रा का साधन नहीं रही, बल्कि ब्रिटिश इतिहास, संस्कृति और तकनीकी तरक्की की गवाह भी बनी रही। लेकिन अब बदलते समय, बढ़ते खर्च और आधुनिक साधनों की मौजूदगी के कारण इसे रिटायर करने का फैसला लिया गया है।
कैसे हुई थी शुरुआत?
शाही ट्रेन की शुरुआत 1842 में हुई थी, जब महारानी विक्टोरिया ने देश के अलग-अलग हिस्सों में जाने के लिए एक सुरक्षित और आरामदायक माध्यम की जरूरत महसूस की। उस समय के भाप इंजन से चलने वाली इस ट्रेन को खासतौर पर शाही परिवार की जरूरतों के मुताबिक सजाया गया था। इसमें कीमती लकड़ी, शानदार फर्नीचर और शाही प्रतीकों से सजा हर डिब्बा किसी चलते-फिरते महल से कम नहीं था।
खासियत और तकनीकी खूबियां
रॉयल ट्रेन के डिब्बों की डिजाइन समय के साथ बदली, लेकिन उसकी भव्यता हमेशा बनी रही। इसमें शाही परिवार के रहने के लिए बेडरूम, डाइनिंग एरिया और ऑफिस जैसी सुविधाएं दी गई थीं। ट्रेन को पहले भाप इंजन से चलाया जाता था, बाद में इसे आधुनिक इंजनों से जोड़ा गया। इसमें सुरक्षा के लिए सीक्रेट कैमरे, खास संचार तकनीक और मॉनिटरिंग सिस्टम लगाए गए थे, जिससे यात्रा पूरी तरह सुरक्षित बनी रहे।
शाही यात्राओं का अहम हिस्सा
महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय ने अपने शासनकाल में रॉयल ट्रेन का खूब इस्तेमाल किया। प्रिंस चार्ल्स (अब किंग चार्ल्स III) ने भी अपनी कई सामाजिक और पर्यावरणीय यात्राओं के लिए इस ट्रेन का उपयोग किया। साल 1977 में महारानी एलिज़ाबेथ की सिल्वर जुबली यात्रा में यह ट्रेन पूरे ब्रिटेन में घूमी थी, जिसने आम जनता को भी शाही परंपराओं से जोड़ा।
खर्च और विवाद
इस ट्रेन को चलाना बहुत महंगा था। हर साल करोड़ों पाउंड इसके रखरखाव, सुरक्षा और स्टाफ की सैलरी पर खर्च होते थे। ये पैसे ब्रिटिश टैक्सपेयर्स से आते थे, जिससे लोगों के बीच नाराजगी भी रहती थी। लोग चाहते थे कि शाही परिवार अब सस्ते और आधुनिक साधनों का इस्तेमाल करे।
रिटायरमेंट का फैसला
बढ़ते खर्च और आधुनिक विकल्पों को देखते हुए किंग चार्ल्स III ने इस ट्रेन को रिटायर करने का फैसला किया। अब कुछ डिब्बों को म्यूज़ियम में रखा जाएगा, ताकि आने वाली पीढ़ियां इसकी विरासत को जान सकें।
विरासत हमेशा रहेगी
रॉयल ट्रेन सिर्फ एक यात्रा का साधन नहीं थी, बल्कि यह ब्रिटिश शाही इतिहास और परंपरा का अहम हिस्सा रही है। इसके रिटायर होने से भले ही एक युग खत्म हो रहा है, लेकिन इसकी यादें और विरासत हमेशा जिंदा रहेंगी।