बौखलाया ड्रैगन क्या ताइवान पर हमले की तैयारी में है
● क्यों ताइवान ने नागरिकों के लिए जारी किया वार सर्वाइवल हैंडबुक
● क्या दुनिया के इस छोर पर भी युद्ध छेड़ने जा रहा है ड्रैगन
बीते कुछ सालों में चीन और ताइवान के बीच तनाव बढ़ा है। चीन अपनी विस्तारवादी नीति से ताइवान को दबाने की भरपूर कोशिश कर रहा है। बीते साल अक्टूबर 2021 में नेशनल डे के मौके पर चीन ने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया था। इसमें चीन के करीब डेढ़ सौ फाइटर जेट्स चार दिनों तक आसमन में गरजते रहे। इसमें 34 J-16 फाइटर प्लेन और 12 परमाणु हमला करने में सक्षम H-6 बॉम्बर्स शामिल थे। इस दौरान चीन के फाइटर जेट्स ताइवान के हवाई क्षेत्र में घुसे थे। बदले में ताइवान के फाइटर जेट्स ने चीनी फाइटर जेट्स को अपने सीमा से बाहर खदेड़ा था। हाल-फिलहाल के सालों में चीन-ताइवान पहली बार इस तरह से एक दूसरे के सामने आए थे।
रूस यूक्रेन युद्ध के बीच एक बार फिर चीन-ताइवान के बीच तनाव बढ़ गया है। इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि क्या दुनिया में एक और महायुद्ध छिड़ने जा रहा है? क्या चीन ताइवान पर हमले की तैयारी कर रहा है?
इन सवालों को ताइवान ने हाल ही में और भी पुख्ता कर दिया है। दरअसल ताइवान ने अपने नागरिकों के लिए वार सर्वाइवल हैंडबुक जारी की है। जिसके बात से इस बात का अंदाजा लगाया जाने लगा है कि चीन कभी भी ताइवान पर हमला कर सकता है।
ताइवान मिलिट्री ने किस तरह की हैंडबुक जारी की है
ताइवान मिलिट्री ने अपने नागरिकों के लिए सिविल डिफेन्स हैंडबुक जारी किया है। इसमें नागरिकों को यह समझाया गया है कि यूक्रेन जैसी स्थिति आने पर वहां के नागरिकों को क्या करना है। हैंडबुक में कई सुझाव हैं, जैसे बम-बारी के दौरान मोबाइल ऐप से अपने आस-पास बॉम्ब सेंटर की तलाश कैसे करें। जरूरी चीजें जैसे खाना और पानी कैसे और कहां से लें, साथ ही एमरजेंसी की हालात में फर्स्टएड किट्स को कैसे तैयार करें।
पिछले कई सालों से ताइवान पर दबाव बनाने के लिए चीन ने ताइवान से सटे सीमावर्ती इलाकों में सैन्य गतिविधियों को तेज कर दिया है। हालांकि ताइवान ने आने वाले दिनों में चीनी इन्वेंशन को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन उसके ऐसी तैयारियों के बाद इस बात के कयास लगाए जाने लगे कि चीन कभी भी ताइवान पर हमला कर सकता है।
ताइवान पर चीन क्यों चाह रहा है कंट्रोल
दरअसल चीन ऐसा इसलिए कर रहा है क्योंकि ताइवान चीन का पड़ोसी होते हुए भी चीन को गंभीरता से नहीं लेता। वहीं ताइवान की बढ़ती ताकत और अर्थव्यवस्था से ड्रैगन को घबड़ाहट हो रही है। ड्रैगन की घबड़ाहट की क्या वजह है उसे समझते हैं। दरअसल ताइवान 25 अक्टूबर 1945 को दूसरे वर्ल्ड वार के बाद चीन से अलग हो गया था। चीन के उलट ताइवान में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार है। जो चीन के सामने नतमस्तक होने को तैयार नहीं है।
मौजूदा राष्ट्रपति साई इंग वेन 2016 में चुनी गई थीं, तभी से चीन-ताइवान के बीच तनाव और भी बढ़ गया, वजह है कि ताइवान चीन के दबाव को नजरअन्दाज कर अपनी स्वतंत्र विदेशी नीति रखता। ताइवान-अमेरिका के बीच अच्छे संबंध भी चीन की बौखलाहट की सबसे बड़ी वजह है।
हथियारों का है मामला
1979 में पहली बार अमेरिका ने चीन के साथ आधिकारिक कूटनीति की शुरुआत की। उसी दौर से अमेरिका ने ताइवान से भी एक अनाधिकारिक कूटनीतिक रिश्तों की शुरुआत कर दी थी। अमेरिका ने ताइवान को हथियार भी बेचना शुरू कर दिया था, जिसको लेकर चीन हमेशा आपत्ति जताता रहा है।
ट्रम्प के दौर में अमेरिका ने ताइवान को 18 बिलियन डॉलर के हथियार बेचे थे। ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन से ट्रंप के संबंध अच्छे थे, बताया जाता है कि 1979 के बाद से पहली-बार यूएस और ताइवान के बीच रिश्ता इतना गहरा हो गया था।
अगर बात बाइडन प्रशासन की करें तो, उनका भी रुख ताइवान को लेकर वही है जो ट्रंप का रहा था। आज भी यूएस ऑफिसियल ताइवान के ऑफिशियल के साथ आसानी से मिल सकता है। बाइडन यूएस के पहले ऐसे राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने ताइवान के प्रतिनिधियों को अपने शपथ समारोह में बुलाया था। फरवरी 2022 में ताइवान और अमेरिका के बीच 100 मिलियन डॉलर हथियारों की खरीद का करार हुआ है।
पिछले कुछ सालों से अमेरिका ने ताइवान को हथियारों की सप्लाई बढ़ा दी है, न केवल हथियारों की खरीद बल्कि सामान्य ट्रेड में भी ताइवान धीरे-धीरे अमेरिका पर निर्भरता बढ़ा रहा है। हालांकि आज भी ताइवान के ट्रेड में सबसे ज्यादा करीब 26% हिस्सेदारी अकेले चीन की है लेकिन ताइवान की अमेरिका से हथियारों की बड़ी पैमाने पर खरीद चीन को सोने नहीं दे रहा। ड्रैगन की बौखलाहट का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि वह कभी भी ताइवान पर हमला कर दुनिया के इस छोर पर भी एक महायुद्ध की शुरुआत कर सकता है।