Shrinking Population, Rising Tension,कभी दुनिया के कई देश जनसंख्या बढ़ने को लेकर परेशान थे, लेकिन अब यही देश घटती आबादी से चिंतित हैं। इन देशों की जनसंख्या इतनी तेजी से घट रही है कि वहां की सरकारें अब लोगों को बच्चे पैदा करने के लिए प्रेरित कर रही हैं। कई जगह तो इसके लिए आर्थिक मदद भी दी जा रही है, लेकिन इसके बावजूद जनसंख्या गिरने की रफ्तार नहीं रुक रही। बढ़ती उम्र की आबादी और कम होती युवा जनसंख्या अब इन देशों के लिए नई समस्या बन चुकी है। आइए जानते हैं उन 5 देशों के बारे में जो आज जनसंख्या घटने के संकट से जूझ रहे हैं।
चीन: जनसंख्या में लगातार तीसरे साल गिरावट
चीन, जो एक समय दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश था, अब जनसंख्या घटने की समस्या से परेशान है। लगातार तीन साल से वहां की आबादी कम हो रही है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि सदी के अंत तक चीन की आबादी 1.4 अरब से घटकर करीब 80 करोड़ रह जाएगी। चीन की कड़ी “एक बच्चे की नीति” और बढ़ती महंगाई ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है। आज वहां के युवा शादी और बच्चों से दूरी बना रहे हैं।
Turkey : जनसंख्या घटने को बताया युद्ध से बड़ा खतरा
तुर्किए में भी जन्मदर तेजी से गिर रही है। वहां के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन ने इसे देश के लिए युद्ध से भी बड़ा खतरा बताया है। सरकार ने 2025 को “परिवार वर्ष” और 2026 से “परिवार दशक” घोषित कर दिया है। नवविवाहितों को बच्चों के लिए प्रोत्साहन देने के लिए आर्थिक मदद दी जा रही है। लेकिन इसके बावजूद वहां की आबादी कम हो रही है।
वियतनाम: खत्म की दो बच्चों की सीमा
वियतनाम में 1999 से 2022 तक जन्मदर औसतन 2.1 रही, लेकिन 2024 में यह घटकर 1.91 रह गई है। इस गिरावट को देखते हुए सरकार ने दो बच्चों की पुरानी नीति को खत्म कर दिया है। अब वहां के नागरिक जितने चाहे उतने बच्चे पैदा कर सकते हैं, ताकि आबादी में फिर से बढ़ोतरी हो सके।
उत्तर कोरिया: आंकड़े छिपे, लेकिन चिंता साफ
उत्तर कोरिया भले ही अपनी जनसंख्या से जुड़े आंकड़े सार्वजनिक नहीं करता, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के अनुसार वहां की जन्मदर 1.78 है। यह दर चीन, जापान और साउथ कोरिया से ज़्यादा है, लेकिन फिर भी 2.1 के आवश्यक स्तर से नीचे है। यदि ऐसा ही चलता रहा, तो वहां श्रमिकों की कमी और सामाजिक ढांचे पर असर पड़ सकता है।
न्यूजीलैंड: बच्चों की संख्या में रिकॉर्ड गिरावट
न्यूजीलैंड में 2023 में जन्मदर गिरकर सिर्फ 1.56 रह गई, जो अब तक का सबसे कम स्तर है। 2022 में यह 1.66 थी। जबकि यहां 15 से 49 साल की महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, फिर भी बच्चे पैदा करने की प्रवृत्ति घट रही है। यह दिखाता है कि वहां की नई पीढ़ी अब पेरेंटहुड को प्राथमिकता नहीं दे रही।