Iran-Israel Conflict Impact on Crude Oil: ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते युद्ध ने पूरी दुनिया के ऊर्जा बाजार को हिला दिया है। अमेरिका की ओर से ईरान की राजधानी तेहरान को खाली करने की अपील और उसके बाद बढ़ते तनाव की वजह से क्रूड ऑयल की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखने को मिल रहा है। भारत, जो अपनी लगभग 40% कच्चे तेल और 54% लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) की आपूर्ति इस क्षेत्र से करता है, अब नई सप्लाई चेन की तलाश में जुट गया है।
ईरान की धमकी से बढ़ा खतरा
एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने ‘स्ट्रेट ऑफ होर्मुज’ को बंद करने की धमकी दी है। यह दुनिया का एक अहम समुद्री रास्ता है, जिससे रोज़ाना बड़ी मात्रा में तेल और गैस की आवाजाही होती है। अगर यह रास्ता बंद होता है, तो न सिर्फ भारत, बल्कि दुनिया भर के देशों की तेल आपूर्ति और कीमतों पर भारी असर पड़ सकता है।
भारत की तैयारी और रणनीति
तेल मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस स्थिति से निपटने के लिए विकल्प तलाशने शुरू कर दिए हैं। भारत की रिफाइनरियां अब नाइजीरिया, अंगोला जैसे पश्चिमी अफ्रीकी देशों से तेल मंगाने की तैयारी कर रही हैं। इसके अलावा लॉजिस्टिक्स और ट्रेड समझौतों पर भी काम शुरू हो चुका है ताकि आपूर्ति में किसी तरह की रुकावट न आए।
क्या वाकई बंद करेगा ईरान होर्मुज जलमार्ग?
विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान इस रास्ते को बंद करने का जोखिम शायद ही उठाएगा, क्योंकि इससे खुद उसका ही तेल और गैस निर्यात ठप हो सकता है। साथ ही यह कदम उसे अमेरिका के साथ सीधे टकराव में भी डाल सकता है, जो ईरान के लिए नुकसानदेह होगा।
भारत के पास कितना तेल भंडार है?
फिलहाल भारत के पास 74 दिनों की तेल खपत के बराबर पेट्रोलियम उत्पादों का भंडार मौजूद है। इसमें से 9.5 दिन की आपूर्ति के लिए रणनीतिक रिजर्व भी शामिल है। यह भंडार देशभर की रिफाइनरियों, डिपो, पाइपलाइनों और टैंकों में रखा गया है। हालांकि अधिकारी मानते हैं कि अगर आपूर्ति पूरी तरह रुकती है, तो चुनौती बड़ी हो सकती है।
नई संभावनाओं के दरवाज़े खुल सकते हैं
अगर भारत पश्चिमी अफ्रीका से तेल आयात बढ़ाता है, तो इससे दीर्घकालिक आपूर्ति सुरक्षा सुनिश्चित हो सकती है। साथ ही, दूसरे देशों को भी इस रास्ते पर चलने की प्रेरणा मिलेगी, जिससे वैश्विक तेल बाज़ार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अपने रणनीतिक तेल भंडार को और मज़बूत करना चाहिए और वैश्विक स्तर पर डिप्लोमैसी को भी तेज़ करना चाहिए।