Jose Mujica poorest president of Uruguay दुनिया में ऐसे बहुत कम नेता हुए हैं, जिन्होंने सादा जीवन जीते हुए लोगों का दिल जीता हो। उरुग्वे के पूर्व राष्ट्रपति होसे मुइका ऐसे ही एक नेता थे। उन्हें दुनिया का सबसे गरीब राष्ट्रपति कहा जाता है, लेकिन असल में वो सबसे अमीर दिल वाले इंसान थे। 89 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। वे गले के कैंसर (एसोफैजियल कैंसर) से जूझ रहे थे, जो बाद में उनके लिवर तक फैल गया था।
2024 में उन्होंने खुद बताया था कि उन्हें कैंसर है। इलाज के कुछ समय बाद उन्होंने इसे रोक दिया और अपनी आखिरी सांसें उसी जगह लीं, जहां उन्होंने अपनी जिंदगी का ज़्यादातर वक्त बिताया अपने खेत में।
कैसे एक बागी बना राष्ट्रपति
होसे मुइका का जीवन सफर एक फिल्मी कहानी जैसा था। वो एक समय पर विद्रोही थे और बाद में देश के राष्ट्रपति बने। उनका मानना था कि अगर कोई नेता ऐशोआराम की ज़िंदगी जीता है, तो वह जनता से कट जाता है।
क्यूबा की क्रांति से प्रभावित होकर, उन्होंने एक वामपंथी गुरिल्ला संगठन बनाया और 1960-70 के दशक में हथियार उठाकर सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ी। इस कारण उन्हें उरुग्वे की सेना ने गिरफ्तार कर लिया और करीब 15 साल जेल में बिताने पड़े। इन सालों में से कई साल उन्होंने अकेलेपन में, बेहद मुश्किल हालातों में गुजारे।
कैद की दर्दनाक यादें
एक इंटरव्यू में मुइका ने बताया था, “छह महीने तक मेरे हाथ मेरी पीठ के पीछे बांध दिए गए थे। दो साल तक मुझे टॉयलेट जाने की भी इजाजत नहीं दी गई।” ये सब सुनकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्होंने कितनी कठिनाइयों का सामना किया।
राजनीति में वापसी और ऊंचाई तक पहुंच
1985 में जब उरुग्वे में लोकतंत्र वापस आया, तो मुइका को रिहा कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने मूवमेंट ऑफ पॉपुलर पार्टिसिपेशन (MPP) नामक एक नई पार्टी बनाई और राजनीति में फिर से कदम रखा। 2010 में, उन्होंने 50% से ज्यादा वोट हासिल किए और राष्ट्रपति बने।
साधारण जीवन, बड़े काम
अपने राष्ट्रपति कार्यकाल (2010-2015) में मुइका ने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया और कई प्रगतिशील कानून लागू किए। उन्होंने अपने लिए किसी आलीशान घर या गाड़ी को नहीं अपनाया। वो अपनी पुरानी बीटल कार चलाते थे और खेत में रहते थे।
नम्रता और ईमानदारी की मिसाल
होसे मुइका ने दुनिया को सिखाया कि एक सच्चा नेता वही होता है, जो अपने लोगों के जैसा जीवन जीता है। उन्होंने दिखाया कि सत्ता में रहकर भी इंसान विनम्र और ईमानदार रह सकता है।