नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। नेपाल के अंदर पिछले एक साल से ओली सरकार के खिलाफ लोग सड़कों पर आकर प्रदर्शन कर रहे हैं। नेपाली जनता ओली सरकार को सत्ता से बेदखल किए जानें को लेकर लगातार ऑपरेशन चलाए हुए है। हर तरफ से एक आवाज गूंज रही है कि कुर्सी छोड़ो ओली जी, राजमहल में आ रहे हमारे राजा जी। सोशल मीडिया के जरिए प्रदर्शनकारी आंदोलन का धार दे रहे हैं। पद्रर्शन को कुचलने के लिए सरकार कई कदम उठा चुकी है। पुलिस की गोली से कई लोग भी मारे जा चुके हैं, बावजूद राजा को लेकर आंदोलन नेपाल की गलियों में जारी है। इसी से निपटने के लिए सरकार ने बीतेदिनों फेसबुक-यूट्यूब समेत कई अन्य सोशल साइड प्लेटफार्म पर बैन लगा दिया था।
सोशल मीडिया बैन किए जाने से लोग उग्र हो गए। हजारों की संख्या में लड़के और लड़कियां नेपाल की राजधानी काठमांडू की सड़कों पर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी नेपाल के संसद परिसर में घुस गए। इसे देखते हुए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछार की। ये प्रदर्शनकारी नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। संसद के अंदर प्रदर्शनकारी दाखिल हुए तो सुरक्षाकर्मियों ने फायरिंग कर दी। जिससे कईलोगों के मारे जानें की खबर है। फिलहाल नेपाल सरकार ने मौजूदा स्थिति का आकलन करने के लिए इमरजेंसी सुरक्षा बैठक बुलाई है। पुलिस ने रात 10 बजे तक के लिए काठमांडू में कर्फ्यू लगा दिया है।
दरअसल, प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार के खिलाफ काठमांडू के विभिन्न शहरों में यह जनरल एंड जेड रिवोल्यूशन शुरू हुआ है। इस दौरान प्रदर्शनकारी संसद भवन में घुए गए। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में लेने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। देश की नई युवा पीढ़ी के द्वारा सरकार के द्वारा सोशल मीडिया बैन किए जाने से लेकर भ्रष्टाचार तक के खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा है। इस प्रदर्शन में हजारों युवा सड़क पर यात्रा सरकार के खिलाफ नाराबाजी करते दिखाई दे रहे हैं। प्रदर्शन के दौरान सरकार ने घंटों तक फोन और इंटरनेट सेवाएं बाधित कर दी थी। काठमांडू के मेयर ने युवाओं के इस प्रोटेस्ट को अपना समर्थन पहले ही दे दिया है।
बता दें, नेपाल सरकार ने चार सितंबर को फेसबुक, एक्स, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप सहित 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाया है। क्योंकि इन प्लेटफॉर्म्स ने नेपाल सरकार के साथ रजिस्ट्रेशन नहीं कराया था। सरकार ने 2024 में एक नया कानून लागू किया था, जिसके तहत सभी सोशल मीडिया कंपनियों को नेपाल में ऑपरेशन के लिए स्थानीय कार्यालय स्थापित करना जरूरी है और टैक्सपेयर के रूप में पंजीकरण करना अनिवार्य था। इस नियम का पालन नहीं करने पर सरकार ने यह कदम उठाया है। इसके पीछे सरकार का तर्क है कि सोशल मीडिया पर अनियंत्रित कंटेंट जैसे फर्जी खबरें, उकसाने वाले कंटेंट और अवैध गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए यह जरूरी था।
हालांकि, इस फैसले की व्यापक आलोचना हुई है। क्योंकि इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना जा रहा है। कई लोगों का मानना है कि यह प्रतिबंध राजतंत्र समर्थकों के प्रदर्शनों और सरकार विरोधी भावनाओं को दबाने का प्रयास हो सकता है, जो हाल के महीनों में बढ़े हैं। इनसब के बीच सरकार ने कहा है कि सोशल मीडिया पर लगा ये बैन तभी हटेगा, जब ये कंपनियां नेपाल में अपना ऑफिस खोल लें, सरकार के समक्ष पंजीकरण कराएं और गड़बड़ी रोकने के लिए सिस्टम बनाएं। नेपाल में अब तक सिर्फ टिकटॉक, वाइबर, निम्बज, विटक और पोपो लाइव ने ही कंपनी रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्ट्रेशन कराया है।
प्रधानमंत्री ओली का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि युवाओं को ये पता होगा कि कानून का उल्लंघन करने का क्या खामियाजा भुगतना पड़ता है। सरकार ने काठमांडु के अलावा चार जिलों में कर्फ्यू लगा दिया है। इसके तहत चार जिलों में किसी के भी प्रवेश या निकास, किसी भी प्रकार की सभा, जुलूस, प्रदर्शन, सभा, बैठक या घेराबंदी करने पर प्रतिबंध है। नेपाल में वर्तमान स्थिति को देखते हुए भारत-नेपाल बॉर्डर पर चौकसी बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। सूत्रों के हवाले से खबर है कि एसएसबी ने भारत नेपाल बॉर्डर पर चौकसी बढ़ा दी है।