कौन है ‘हामी’, जिसने नेपाल में काटी गदर और फूंकी संसद, पुलिस फायरिंग में 20 प्रदर्शनकारियों की मौत, 300 से ज्यादा घायल

सोशल मीडिया पर बैन के खिलाफ सोमवार को नेपाल में लोगों ने जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन किया। हजारों युवा सड़कों पर उतर आए और संसद भवन पर घुस गए। संसद की इमारत के कई हिस्सों को आग के हवाले कर दिया।

नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। सोशल मीडिया पर बैन के खिलाफ सोमवार को नेपाल में लोगों ने जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन किया। हजारों युवा सड़कों पर उतर आए और संसद भवन पर घुस गए। संसद की इमारत के कई हिस्सों को आग के हवाले कर दिया। सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए आंसू के गैस के गोले दागे। प्रदर्शनकारी उग्र हो गए, तब सुरक्षाबल के जवानों को फायरिंग करनी पड़ी। गोली लगने से 300 सौ से अधिक लोग घायल हो गए, तो वहीं 20 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। फिलहाल सौ से अधिक प्रदर्शनकारियों की हालत गंभीर बनी हुई है। काठमांडु से लेकर कई शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। नेपाल-भारत बार्डर पर एसएसबी ने सुरक्षा-व्यवस्था कड़ी कर दी है।

पड़ोसी मुल्क नेपाल में फेसबुक, इंस्टाग्राम समेत कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाए जाने को लेकर युवक सड़कों पर उतर आए। राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में हजारों की संख्या में युवाओं ने जमकर प्रदर्शन किया।् इस प्रदर्शन का नेतृत्व युवा कर रहे हैं, इसलिए ळमर्द का आंदोलन कहा जा रहा है। युवाओं ने संसद भवन में घुस कर जमकर तोड़फोड़ औेर आगजनी की। पुलिस ने फिर आंसू गैस पानी की बौछार और यहां तक की रबर बुलेट का इस्तेमाल किया। हालात पर काबू पाने के लिए नेपाल की सरकार ने काठमांडू पोखरा समेत कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया और सड़कों पर सेना की तैनाती कर दी है।

प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षाबलों के जवानों ने फायरिंग की, जिससे 20 से अधिक लोगों की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि 300 से ज्यादा प्रदर्शनकारी बुरी तरह से घायल हुए हैं। सौ से अधिक युवाओं की हालत गंभीर बनी हुई है। मृतकों का आंकड़ा बढ़ने का अनुमान है। हिंसा को देखते हुए प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के आवास पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। युवा प्रदर्शनकारी पीएम ओली के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। सरकार ने नेपाल के कई शहरों में कर्फ्यू लगा दिया है। राष्ट्रपति भवन शीतल निवास क्षेत्र, महाराजगंज उपराष्ट्रपति का निवास, सिंहदरबार के चारों ओर प्रधानमंत्री का निवास बालुवाटार और आसपास के इलाकों तक कर दिया है कर्फ्यू का दायरा बढ़ा दिया गया है।

द हिमालयन टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य और जनसंख्या मंत्रालय के सचिव प्रदीप पौडेल ने निर्देश दिया है कि राजधानी काठमांडू में प्रदर्शन के दौरान घायल हुए लोगों का मुफ्त इलाज सुनिश्चित किया जाए। वहीं नेपाल मानवाधिकार आयोग ने युवा प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की कड़ी कार्रवाई की निंदा की है। आयोग ने कहा कि पुलिस और सरकार प्रदर्शनकारियों को दबाने के लिए अत्याधिक बल का प्रयोग किया। कभी आंसू गैस के गोले, रबर की गोलियां, कभी बैटन तो कभी पानी की तोप का इस्तेमाल किया गया। नेपाल की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अभी भी हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। युवा अभी भी सड़कों पर हैं। युवा पीएम ओली के इस्तीफे पर अड़े हैं।

युवाओं के प्रदर्शन में एनजीओ हामी नेपाल ने अहम भूमिका निभाई है। डिस्कॉर्ड चौनलों के ज़रिए एनजीओ ने ऑनलाइन विरोध प्रदर्शन का कॉल दिया। वीपीएन के जरिए प्रदर्शनकारी एनजीओ से जुड़े। इससे पहले हामी नेपाल का राजनीतिक प्रदर्शन आयोजित करने का कोई इतिहास नहीं रहा है। इस संगठन की स्थापना 2015 में की गई थी और आमतौर पर बाढ़ और भूकंप जैसी आपदाओं के बाद राहत प्रदान करने के लिए काम करता है। वहीं नेपाल के युवाओं को कलाकारों की ओर से भी समर्थन मिलना शुरू हो गया है। अभिनेत्री केकी अधिकारी नेकाव्यात्मक पोस्ट कर समर्थन किया है। अभिनेत्री वर्षा राउत, वर्षा शिवकोटी, अनमोल केसी, प्रदीप खड़का, भोलाराज सपकोटा, गायिका एलिना चौहान, रचना रिमल और समीक्षा अधिकारी समेत कई कलाकारों ने एकजुटता व्यक्त की है।

प्रदर्शन को लेकर नेपाल सरकार के प्रवक्ता और सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरंग ने कहा कि इस प्रदर्शन में अराजक ताकतों ने हिस्सा ले लिया है। उनका उद्देश्य साफ़ है कि सत्ता पर कब्जा कर लिया जाए। ये प्रदर्शन सिर्फ सोशल मीडिया के बहाली और भ्रष्ट्राचार के ख़िलाफ़ कार्रवाई को लेकर सीमित नहीं था। उन्होंने प्रदर्शनकारियों की मौत को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि हिंसा का जिम्मेदारी विरोधी सरकारी ताकत हैं। ये प्रदर्शन सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने को लेकर नहीं किया गया। ओपी समर्थक एक सांसद ने प्रदर्शन के पीछे अमेरिका को जिम्मेदार बताया है। सांसद का कहना है कि अमेरिका ने बांग्लादेश की तरह नेपाल में भी हिंसा भड़काई।

नेपाल में हिंसक प्रदर्शन को देखते हुए सशस्त्र सीमा बल ने अपनी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर के तहत जवानों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं। सूत्रों के अनुसार सीमा पर तैनात जवानों को निर्देश दिए गए हैं कि नेपाल से भारत आने-जाने वालों की पहचान सावधानी से जांचने को कहा गया है। ताकि किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत कार्रवाई की जा सके। बता दें, नेपाल में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगाए गए बैन के खिलाफ सोमवार को राजधानी काठमांडू समेत अन्य शहरों में हुए प्रदर्शन के दौरान अब तक 20 लोगों की मौत और 300 से ज्यादा घायल हुए हैं। एक पत्रकार को भी गोली लगी है।

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