Gen Z Protest Ends in Nepal: नेपाल में युवाओं का Gen-Z आंदोलन अब लगभग शांत हो चुका है। गुरुवार को कुछ इलाकों में ही उपद्रव की घटनाएं सामने आईं, लेकिन बड़े स्तर पर हिंसा नहीं हुई। अब सबसे बड़ी चुनौती देश में नई सरकार का गठन करना है। आंदोलनकारी युवाओं ने अपनी प्रमुख मांगों का एक ड्राफ्ट जारी किया है, जिसमें आम चुनाव कराने और शासन में पारदर्शिता लाने की बात कही गई है।
क्या है युवाओं की मांग
युवाओं की पहली मांग है कि संसद को तुरंत भंग किया जाए। दूसरी मांग है कि देश में नागरिक और सैन्य अधिकारियों की भागीदारी वाली सरकार बने, लेकिन सेना की भूमिका को सीमित रखा जाए। इसके अलावा युवाओं ने कहा है कि अगले एक साल के अंदर आम चुनाव कराए जाएं। साथ ही, नेताओं और राजनीतिक दलों की संपत्ति की जांच के लिए एक मजबूत न्यायिक आयोग बनाया जाए, ताकि भ्रष्टाचार पर रोक लग सके।
आंदोलन का उद्देश्य विनाश नहीं, जवाबदेही है
आंदोलन से जुड़े युवाओं ने कहा कि उनका मकसद देश में तबाही मचाना नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका प्रदर्शन भ्रष्टाचार से ग्रस्त व्यवस्था के खिलाफ था। आंदोलन के दौरान हुई आगजनी, तोड़फोड़, लूटपाट और हिंसा की उन्होंने निंदा की। युवाओं ने कहा कि जो लोग हिंसक घटनाओं में शामिल हैं, वे न तो उनका प्रतिनिधित्व करते हैं और न ही उनकी पीढ़ी की आवाज हैं। उन्होंने मांग की कि ऐसे लोगों की पहचान कर उन्हें कानून के अनुसार सजा दी जाए, ताकि आंदोलन की गरिमा बनी रहे और पारदर्शिता सुनिश्चित हो।
अंतरिम सरकार की मांग
आंदोलनकारियों ने कहा कि राष्ट्रपति के औपचारिक नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार बनाई जाए, जिसका नाम “संयुक्त नागरिक-सैन्य संकट प्रबंधन परिषद” हो। इस परिषद की कार्यकारी अध्यक्षता कुलमन घीसिंग करें। इसमें जस्टिस आनंद मोहन भट्टाराई भी शामिल किए जाएं। परिषद में सेना की भूमिका केवल सुरक्षा, स्थिरता और निष्पक्ष निगरानी तक सीमित रहे। युवाओं का कहना है कि इस अंतरिम सरकार का उद्देश्य सिर्फ नए चुनाव कराना होना चाहिए, न कि लंबे समय तक शासन चलाना।
युवाओं की यह मांग देश में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए उठाई गई है। अब देखना होगा कि नेपाल की नई सरकार इन मांगों को किस तरह लागू करती है और देश को स्थिरता की ओर लेकर जाती है।